केरल (Kerala) में कांग्रेस कार्यकर्ताओं (Congress Workers) को पार्टी की ओर से धरना-प्रदर्शन में शामिल होने पर इसके कानूनी नतीजों की चिंता करने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि पार्टी ने ऐसी स्थिति में कार्यकर्ताओं को कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए समिति बनाई है. केरल प्रदेश कांग्रेस विधि सहायता समिति (केपीसीएलएलएसी) का गठन अधिवक्ता वीएस चंद्रशेखरन के नेतृत्व में किया गया है और इसके पैनल में करीब 750 वकीलों (Lawyers) को शामिल किया गया है, जो पार्टी कार्यकर्ताओं को कानूनी मदद मुहैया कराएंगे. चंद्रशेखरन 19 अप्रैल को समिति का कार्यभार संभालेंगे.
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चंद्रशेखरन ने रविवार को कहा कि देखा गया है कि प्रदर्शनों से कई पार्टी कार्यकर्ता दूर हो रहे हैं और उनमें से कई पार्टी की गतिविधियों को छोड़ रहे हैं, क्योंकि वे पार्टी के कार्यों की वजह से दर्ज मुकदमों को अपने खर्च पर लड़कर परेशान हो चुके हैं. उन्होंने रेखांकित किया कि कई कार्यकर्ता पार्टी गतिविधियों में कानूनी नतीजों के भय की वजह से शामिल नहीं होना चाहते और ऐसे में उन्हें कांग्रेस से मदद मिलनी चाहिए.
‘कार्यकर्ताओं को कानूनी मदद देने के विचार के साथ आए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष’
चंद्रशेखरन ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष और सांसद के सुधाकरण पार्टी कार्यकर्ताओं को कानूनी मदद देने के विचार के साथ आए ताकि उन्हें कानूनी परिणाम के भय से मुक्त किया जा सके, उनका मनोबल बढ़ाया जा सके और अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को पार्टी की गतिविधियों में शामिल किया जा सके. उन्होंने बताया कि वो अपौचारिक रूप से समिति का कार्यभार 19 अप्रैल की दोपहर आयोजित कार्यक्रम में लेंगे.
वहीं केरल में आरएसएस के एक कार्यकर्ता और एसडीपीआई के एक कार्यकर्ता की राजनीतिक हत्या के बीच विपक्षी दल कांग्रेस ने शनिवार को वाम सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि राज्य में आजकल सांप्रदायिक और राजनीतिक हत्याओं के बढ़ते मामले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा की जा रही सांप्रदायिक तुष्टीकरण का परिणाम है. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि पुलिस बल हिंसा और हत्याओं की इन घटनाओं का मूकदर्शक बन गया है और लोग भय में जी रहे हैं, क्योंकि उनके जीवन और संपत्ति की कोई सुरक्षा नहीं है.
उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्य उत्तर से दक्षिण तक गुंडा गलियारा में बदल गया है. साथ ही कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और एसडीपीआई जैसी सांप्रदायिक ताकतें राज्य में हिंसा कर रही हैं. उन्होंने वर्कला में संवाददाताओं से कहा कि ये सभी हत्याएं मुख्यमंत्री की ओर से सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर की जा रही सांप्रदायिक तुष्टीकरण का परिणाम हैं. सरकार के पास किसी का विरोध करने की शक्ति नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक दोनों समुदायों की कट्टरपंथी ताकतों ने पुलिस बल में घुसपैठ की है. उन्होंने कहा कि मार्क्सवादी पार्टी के हाल में संपन्न जिला सम्मेलनों में भी विजयन के नेतृत्व वाले गृह विभाग की आलोचना हुई थी.
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