पाकिस्तान (Pakistan) में लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम (Lt General Nadeem Anjum) 20 नवंबर को ISI चीफ के तौर कमान संभालने वाले हैं. लेकिन इस्लामाबाद के सत्ता के गलियारों में राजनीतिक-सैन्य मतभेद बढ़ता जा रहा है. प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) और पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Gen Qamar Javed Bajwa) के बीच ISI चीफ को लेकर अभी भी मतभेद हैं. इमरान अभी भी मौजूदा ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद (Lt Gen Faiz Hameed) को पद पर बनाए रखने के पक्ष में है.
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अंजुम वर्तमान में कराची कोर कमांडर (Karachi Corps Commander) हैं और जनरल हमीद को पेशावर कोर कमांडर (Peshawar Corps Commander) के रूप में तैनात किया गया है. भले ही पाकिस्तान में दो बड़े नाम आमने-सामने हैं. लेकिन इमरान की मुसीबत इसलिए भी बढ़ती जा रही है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क है और महंगाई अपने चरम पर पहुंच गई है. वहीं, पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने सरकार द्वारा तहरीक-ए-तालिबान (TTP) संग समझौता करने को लेकर इमरान की आलोचना की है. हक्कानी नेटवर्क ने दोनों पक्षों के समझौता करवाया है.
इमरान और बाजवा के बीच तनाव
इस्लामाबाद पर नजर रखने वाले लोगों के मुताबिक, वर्तमान में ISI के सभी प्रमुख जनरलों द्वारा पहले से ही लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को रिपोर्ट किया जा रहा है. अंजुम लेफ्टिनेंट जनरल हमीद से पदभार संभालने के लिए पहले से ही रावलपिंडी में हैं. एक एक्सपर्ट ने कहा, इस्लामाबाद में सभी जगह अफवाहें उड़ रही हैं कि नए ISI चीफ के लिए इमरान और बाजवा के बीच लड़ाई चल रही है और इसके परिणामों के लिए अटकलें लगाई जा रही हैं. कुछ ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं, जिनमें कहा गया है कि 111 रावलपिंडी ब्रिगेड सबसे खराब स्थिति से निपटने के लिए तैयार भी है. वहीं, इमरान की पार्टी के सहयोगी दल अन्य राजनीतिक विकल्पों की तलाश में भी जुट गए हैं.
आखिर विवाद की वजह क्या है?
दरअसल, जनरल बाजवा द्वारा लेफ्टिनेंट जनरल हमीद को हटाने के पीछे प्रमुख कारण ये है कि हमीद की काबुल में तालिबान शासन विशेष रूप से सिराजुद्दीन हक्कानी समूह (Sirajuddin Haqqani group) के साथ निकट संबंध हैं. जहां इमरान चाहते थे कि अफगानिस्तान भारत के खिलाफ पाकिस्तान को रणनीतिक स्थान दे, वहीं जनरल बाजवा का स्पष्ट रूप से मानना है कि तालिबान की जहरीली विचारधारा उनके देश को नुकसान पहुंचाएगी. पाकिस्तान सेना प्रमुख अफगानिस्तान (Afghanistan) से डूरंड रेखा (Durand Line) के पार फैल रहे कट्टरपंथी चरमपंथ के खिलाफ हैं. यही दोनों के बीच विवाद की वजह बन गया है.
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