सोयामील इंपोर्ट (Soymeal Import) का मुद्दा अब सियासी हो गया है. महाराष्ट्र सरकार जेनेटिकली मोडिफाइड (Genetically Modified) सोयामील आयात के खिलाफ हो गई है. वहां के कृषि मंत्री दादाजी भुसे ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर किसानों के हित में सोयामील इंपोर्ट का फैसला बदलने की मांग की है. क्योंकि इस कदम से किसानों को नुकसान हो रहा है. सोयाबीन की फसल कटाई के लिए तैयार है. सोयामील, सोयाबीन के बीजों से तैयार किए गए उत्पादों को कहते हैं जिनका इस्तेमाल पोल्ट्री इंडस्ट्री में पशु आहार के रूप में किया जाता है. इसे सोयाबीन की खली भी कह सकते हैं.
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दादाजी भुसे ने लिखा है कि सोयाबीन भारत में महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, जिसे खरीफ सीजन के दौरान 120 लाख हेक्टेयर में बोया जाता है. देश में 1 करोड़ से ज्यादा किसान सोयाबीन की खेती (Soybean farming) करते हैं. अब उनकी फसल तैयार होने वाली है. इस बीच केंद्र सरकार ने 12 लाख मीट्रिक टन सोयामील इंपोर्ट की अनुमति दे दी. इस फैसले से सोयाबीन की कीमतों पर असर पड़ेगा.
सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों में रोष
दादाजी भुसे ने पत्र में लिखा है कि इंपोर्ट के फैसले से किसानों में भारी रोष है. आपसे अनुरोध है कि निर्णय पर पुनर्विचार करें. जीएम सोयाकेक के आयात को तत्काल प्रभाव से रोक दें. खबर मिली है कि इस फैसले के बाद सोयाबीन की कीमतों (Soybean Price) में 2000 से 2500 प्रति क्विंटल तक की गिरावट आ गई है. इससे किसानों को नुकसान हो रहा है.
क्यों लिखा गया पत्र?
देश में मध्य प्रदेश सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक प्रदेश है. यहां इस साल 58 लाख 54 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई है. संयोग से यह, केंद्रीय कृषि मंत्री का गृह प्रदेश है. वहां बीजेपी (BJP) की सरकार है. ऐसे में वहां से सरकार की ओर से केंद्र के इस फैसले के खिलाफ कोई आवाज नहीं आई.
लेकिन, महाराष्ट्र दूसरा बड़ा सोयाबीन उत्पादक है. यहां शिवसेना (Shiv Sena) की सरकार है. ऐसे में उसके लिए किसानों से जुड़ा यह मुद्दा काम का है. इसलिए वहां की सरकार ने इसके विरोध में पत्र लिख दिया. महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ में सोयाबीन की खेती होती है.
नियमों में रियायत देकर इंपोर्ट
वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डायरेक्टर जनरल फारेन ट्रेड (DGFT) ने 12 लाख टन जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सोयाबीन से तैयार सोयामील के इंपोर्ट का नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके लिए आयात नीति-2017 के उस प्रावधान में रियायत दी गई है, जिसके तहत जीएम सोयामील के आयात के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) की मंजूरी की अनिवार्यता है.
किसानों और केंद्र का यह है तर्क
केंद्र सरकार इस इंपोर्ट को यह कहकर जरूरी बता रही है कि सोयामील की आसमान छूती कीमतों ने पशुओं के चारे को महंगा कर दिया है. जिससे पोल्ट्री, डेयरी (dairy) और एक्वा उद्योग पर असर हो रहा है. लेकिन किसानों का कहना है कि सितंबर-अक्टूबर में उनकी फसल आ जाएगी. ऐसे में इस इंपोर्ट से उनका भारी नुकसान होगा. उन्हें अच्छा दाम नहीं मिलेगा.
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