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एक पशु से अब होगी 30 हजार रुपये की ज्यादा आमदनी, जानिए सरकार की इस नई स्कीम के बारे में

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी 12 जनवरी को एक ‘प्राकृतिक’ पेंट का उद्घाटन करने जा रहे हैं. यह बिल्कुल नए तरह का पेंट है जिसे खादी और ग्रामीण उद्योग विभाग ने तैयार किया है. इस पेंट का नाम है ‘खादी प्राकृतिक पेंट’. यह पेंट इको-फ्रेंडली होने के साथ ही नॉन-टॉक्सिक भी है. पेंटों में अपने तरह का यह पहला उत्पाद है जो एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से लैस है.

‘फाइनेंशियल एक्स्प्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस पेंट मुख्य तत्व (इनग्रेडिएंट) गाय का गोबर है. यानी कि इस पेंट को पूरी तरह से गाय के गोबर से बनाया गया है. माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटप्राइजेज के बयान के अनुसार, खादी प्राकृतिक पेंट केमिकल आधारित पेंट से सस्ता है. इसमें किसी तरह का गंध नहीं है और इसे ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने सर्टिफाई भी किया है.

दो तरह का पेंट

बयान में कहा गया है कि प्राकृतिक पेंट दो रूपों में बेचा जाएगा-डिस्टेंपर पेंट और प्लास्टिक इमल्सन पेंट. प्राकृतिक पेंट बनाने के पीछे मकसद किसानों की आय में वृद्धि करना है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्से पहले कर चुके हैं. इस पेंट का कॉनसेप्ट केवीआईसी के चेयरमैन ने मार्च 2020 में पेश किया था.

किसका है कॉनसेप्ट

जयपुर स्थित कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड इंस्टीट्यूट ने इस कॉनसेप्ट पर काम शुरू किया और प्राकृतिक पेंट का निर्माण संभव हो पाया. इस पेंट में कोई भी हेली मेटल जैसे कि लेड, मरकरी, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इस पेंट के निर्माण से स्थीय स्तर के मैन्युफैक्चरर की आमदनी बढ़ेगी. छोटे कारोबारियों के बीच टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होने से स्थानीय स्तर पर रोजगार भी बढ़ेगा.

30 हजार की अतिरिक्त कमाई

इस पेंट का निर्माण होने से कच्चे माल के तौर पर गाय के गोबर की मांग बढ़ेगी. यह पेंट इको फ्रेंडली होने की वजह से लोग खरीदने में दिलचस्पी लेंगे और इससे किसानों और गौशालाओं को अतिरिक्त आमदनी होगी. सरकार के एक अनुमान के मुताबिक, प्राकृतिक पेंट की बिक्री से किसानों को हर साल 30 हजार रुपये की अतिरिक्त कमाई हो सकती है. सरकारी बयान में कहा गया है कि किसानों या गौशालाओं की प्रति गाय सालाना 30 हजार रुपये की आमदनी होने का अनुमान है.

तीन लैब में हुआ टेस्ट

गोबर का उचित इस्तेमाल नहीं होने से कई तरह की परेशानियां बढ़ती हैं. साफ-सफाई की समस्या के साथ नालों का जाम होना आम बात है. गोबर को अगर प्राकृतिक पेंट के निर्माण में प्रयोग करें तो गोबर का सदुपयोग हो सकेगा. सफाई की समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी. खादी प्राकृतिक डिस्टेंपर और इमल्सन को तीन राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में टेस्ट किया जा चुका है. इन तीन प्रयोगशालाओं में मुंबई स्थित नेशनल टेस्ट हाउस, नई दिल्ली स्थित श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च और गाजियाबाद के नेशनल टेस्ट हाउस के नाम हैं.

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