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गीता जयंती 2022: कब और क्यों मनाते है? जानिए महत्व और उपदेश (मोक्षदा एकादशी)

Gita Jayanti 2022: कब, क्यों और कैसें मनाई जाती है गीता जयंती? जानिए महत्व और उपदेश (शुभकामना फोटोज)

Gita Mahotsav 2022 Kurukshetra: इस साल 2022 में गीता जयंती महोत्सव (मोक्षदा एकादशी) 03 दिसंबर को शनिवार के दिन है। हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। बताया जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता के उपदेश निकले थे।

दुनिया भर में केवल श्रीमद भगवत गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। इस साल भी महाभारत और गीता की भूमि कुरुक्षेत्र (हरियाणा) पर गीता महोत्सव (Gita Mahotsav) का भव्य आयोजन किया जा रहा है।

Geeta Jayanti Ki Shubhkamnaye Hindi
Geeta Jayanti के बारे में जानकारी:
नाम:गीता जयन्ती
तिथि:मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष एकादशी
दिनांक:03 दिसम्बर 2022
गीता महोत्सव:19 नवम्बर – 06 दिसम्बर 2022
धर्म:हिंदू
विषय सूची
  • कब मनाते है?
  • क्यों (महत्व)
  • क्यों दिया ज्ञान
  • उपदेश (कोट्स)
  • अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव

माघशीर्ष शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी भी पड़ती है जो मनुष्य मोक्ष पाने की इच्छा रखता है वह इस दिन का व्रत रख सकता है।

श्रीमद्भागवत गीता और इसकी जयंती का महत्व

हिंदू धर्म में गीता एक धार्मिक ग्रंथ के साथ ही जीवन को सही ढंग से जीने का मार्ग दिखाने का एक मुख्य जरिया है। भगवान श्री कृष्ण जी ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया जो आज भी लोगों को सही-गलत में फर्क समझने एवं जीवन को ठीक तरीके से जीने का तरीका सिखाती है।


सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ गीता के रचनाकार वेदव्यास जी हैं, उन्होंने ही वेदों की रचना भी की। गीता जयंती हजारों वर्षों से मनाई जाती रही है, पौराणिक मान्यताओं और विद्वानों की कालगणना के अनुसार, यह वर्ष गीता उपदेश का 5160वां वर्ष है।

इस पवित्र ग्रंथ को भारतीय भाषाओं ही नहीं बल्कि दुनिया भर की कई अन्य भाषाओं में भी अनुवादित किया गया है जहां लोग इसका निरंतर पाठ करते हैं और अपने जीवन को सफल बनाने के लिए इससे मिली सीख को जीवन में उतारते हैं।

Bhagwat Gita Updesh Aatma Amar Hai

श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश किसे और क्यों दिया?

महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथी बने भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मोह में फंसता देख उनके कर्म और कर्तव्य से अवगत कराया और जीवन की वास्तविकता से उनका सामना करवाते हुए उन्होंने अर्जुन की सभी शंकाओं को दूर किया उनके बीच हुआ यह संवाद ही श्रीमद्भगवद्गीता है।

भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान सबसे पहले अर्जुन को दिया था, जिसे उन्ही के रथ पर सवार हनुमान जी ने तथा घटोत्कच पुत्र और भीम के पौते बर्बरीक ने दूर पहाड़ी की चोटी से सुना था।

बताया जाता है कि वेदव्यास जी द्वारा संजय को वेद दृष्टि प्राप्त थी जिससे वे महल में बैठे-बैठे ही युद्ध भूमि की सभी हलचल देख और सुन सकते थे।

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Bhagavad Gita Updesh

श्रीमद भगवत गीता के 7 उपदेश

  • कर्म करो फल की चिंता मत करो।


  • इंसान जो बनना चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ जो चाहता है उस पर लगातार चिंतन करें।


  • जिसका मन पर नियंत्रण नहीं होता उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है


  • कर्म से बढ़कर और कुछ भी नहीं


  • Krishna Arjuna Gita ka Updesh

  • आत्मा को ना कोई शस्त्र काट सकती है और ना ही अग्नि इसे जला सकती है।


  • जब जब धरती पर अधर्म बढ़ेगा तब तब मैं अवतरित होता रहूंगा।


  • इंद्रियों पर संयम रखने वाला मनुष्य ही शांति को प्राप्त करता है।

गीता महोत्सव 2022 कैसे मनाया जाएगा?

इस साल भी हरियाणा सरकार द्वारा कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 का आयोजन किया जा रहा है जो 19 नवम्बर से 06 दिसंबर तक चलेगा। यह कार्यक्रम कुम्भ के तर्ज पर आयोजित किया जाएगा जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव समिति का गठन किया गया है।

कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान सेमिनार, 48 कोस तीर्थों की प्रदर्शनी, दीप प्रज्वलन, हवन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और कई अन्य प्रतियोगिताएं तथा शोभा यात्राएं आयोजित की जाएंगी।

इस दिन भगवान श्री कृष्ण और महर्षि वेदव्यास जी की पूजा की जाती है तथा श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किया जाता है, और गीता के श्लोकों एवं उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाया जाता है।

इसके आलावा विश्व हिन्दू परिषद् और इसके सहयोगी संगठन गीता जयंती के मौके पर शौर्य दिवस मनाने जा रहे है जो राम जन्मभूमि मुक्ति और उस दिन की याद दिलाता है जब हिंदू कारसेवकों ने अयोध्या का विवादित ढ़ाचा ढहाया था।

यहाँ पढ़ें: शौर्य दिवस 2022: विश्व हिंदू परिषद द्वारा गीता जयंती पर मनाया जाएगा? जानिए इतिहास



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