World Theatre Day 2020 in Hindi: 27 मार्च को मनाया जाता है विश्व रंगमंच दिवस, जानिए क्या है उद्देश्य
Viswa Rangmanch Diwas 2020: किसी भी सिनेमाप्रिय व्यक्ति के जीवन में फिल्में और थिएटर क्या महत्व रखती है यह बताने की जरूरत नहीं है, भारत में हर शुक्रवार को करीबन दो-तीन बॉलीवुड फिल्में तथा क्षेत्रीय भाषाओं में रिलीज होती है साथ ही हॉलीवुड में भी कई फिल्में रिलीज होती है।
भारत फिल्म का देश है और हर साल 27 मार्च को विश्व थिएटर दिवस मनाया जाता है। आइए आपको अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस के बारे में बताते है और जानते है कि World Theatre Day 2020 कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है तथा भारतीय नाट्यशाला का इतिहास और थिएटर का महत्व क्या है।
World Theatre Day 27 March 2020 Vishwa Rangmanch Diwas |
27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है:
इतिहास: विश्व रंगमंच दिवस की स्थापना सन 1961 में इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट (अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान) द्वारा की गई थी तभी से हर साल यह दिन 27 मार्च के रूप में हर साल मनाया जाता है इसे मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को थिएटर के मूल्यों और महत्व बताना तथा दुनिया भर में रंगमंच को बढ़ावा देना है।
रंगमंच दो शब्दों के मेल से बना है रंग और मंच, यानि कि ऐसा मंच जिस पर विभिन्न रंगों को लोगों के बीच प्रदर्शित किया जा सके या पेश किया जा सके रंगमंच कहलाता है, पश्चिमी देशों में या अंग्रेजी में इसे थिएटर शब्द से संबोधित किया जाता है।
उद्देश्य: इसका उद्देश्य विश्वभर के लोगों को रंगमंच संस्कृति के विषय में बताना उसके विचारों के महत्व को समझाना और थिएटर के प्रति लोगों में दिलचस्पी पैदा करना तथा रंगमंच से जुड़े लोगों को सम्मानित करना है।
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कैसे मनाते है: विश्व रंगमंच दिवस के दिन कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई रंगमंच से संबंधित अनेक संस्थाओं और समूहों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन लोगों को रंगमंच के विषय और संस्कृति के बारे में प्रेरित करने और अवगत कराने के लिए इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट द्वारा थिएटर के एक सम्मानित व्यक्ति को भी बुलाया जाता है।
इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट (ITI): दुनिया का सबसे बड़ा प्रदर्शन कला संगठन अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) है, इसकी स्थापना नृत्य विशेषज्ञों और यूनेस्को द्वारा साल 1948 में की गई थी। आईटीआई का मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में स्थित है।
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भारत की पहली नाट्यशाला और रंगमंच का इतिहास:
बताया जाता है कि भारत के महाकवि कालिदास जी ने भारत की पहली नाट्यशाला में ही मेघदूत की रचना की थी भारत की पहली नाट्यशाला अंबिकापुर जिले के रामगढ़ पहाड़ पर स्थित है इसका निर्माण महाकवि कालिदास जी ने ही किया था।
भारत में रंगमंच का इतिहास आज का नहीं बल्कि सदियों पुराना है आप इसके प्राचीनता को कुछ इस तरह से समझ सकते हैं कि पुराणों में भी इसका उल्लेख यम, यामी और उर्वशी के रूप में देखने को मिलता है इनके संवादों से ही प्रेरणा लेकर लोगों ने नाटकों की रचना की जिसके बाद से नाट्यकला का विकास निश्चित हो सका और भारतीय नाट्यकला को शास्त्रीय रूप देने का कार्य भरतमुनि ने ही किया।
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हमारे जीवन में थिएटर का महत्व:
दोस्तों आज थिएटर हमारे सामने दुनिया के तमाम रहस्य और घटनाओं को सामने लेकर आया है जिनमें कहीं डॉक्युमेंट्रीज शामिल है ऐसे में सिनेमा का महत्व और भी बढ़ जाता है जब सच्ची घटनाओं को फिल्मों के जरिए रंगमंच पर पुनः जीवित किया जाता है
आज थिएटर की एक अलग ही पहचान है लोग आज उनका बड़ा सम्मान करते हैं और कई ऐसे निर्देशक हुए हैं जो सच्ची घटना और अच्छे विषयों पर फिल्म बनाते हैं और लोगों को ज्ञान देने की कोशिश करते हैं।
आज भारत में भी साइंस फिक्शन पर बनी मूवीस की भरमार है साथ ही फिल्म में भारत को गर्वित करने के लिए विश्व स्तर पर भारत को गौरवान्वित कर रही है अभी कुछ दिन पहले रिलीज हुई गली बॉय फिल्म ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट हुई थी।
आज भारत और दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस के संकट में फिल्मजगत से जुड़े लोग भी अपना योगदान दे रहे हैं और थिएटर से जुड़े लोगों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
अन्तिम शब्द
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