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Nota क्या है क्या सच में इलेक्शन के नतीजे पर इससे कोई फर्क पड़ता है ?

Hello Doston,आज हम बात करने जा रहे है Nota के बारे में आप में से बहुत से लोगों ने ये नाम सुना भी होगा और इसको इस्तेमाल भी किया होगा और जो नहीं जानते वो आज ये जान लेंगे | आज में आपको बताऊंगा की इसको इलेक्शन में क्यों इस्तेमाल किया जाता है और क्या सच में इससे कुछ होता भी है और आपके लिए ये जानना भी जरुरी है क्यूंकि इसको आये हुए काफी समय भी हो चूका है

लेकिन फिर भी कुछ लोग अभी इसको सही से जान और समझ नहीं पाए है इसका एक ही कारण है कि अभी भी लोगों को इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गई है ये उन लोगों के लिए जानना बहुत ही जरुरी है जो पहेली बार वोट देने जा रहे है इसमें कुछ कमिया है जिनको दूर होना चाहिए और चुनाव आयोग को इसके उपर विचार करना चाहिए नहीं तो ये बस evm (electronic voting machine) में एक आप्शन के रूप में हमे दिया गया है

Nota क्या है ?

जब आप वोट देने जाते है और आपको किसी भी पार्टी का कोई भी उम्मीदबार पसंद नहीं आता है इसके बहुत से कारण हो सकते है कि उनके उपर केस दर्ज है उनके काम से आप संतुस्ट नहीं है या आपको लगता है कि ये सारे ही भ्रष्ट है तो ऐसे में आप किसी भी को वोट न देके आप NOTA का बटन दावा के अपना विरोध प्रदर्शन कर सकते है NOTA का सीधा सा मतलब होता है None Of The Above माने उपरोक्त में से कोई नहीं |
ये आप्शन आपको evm के लास्ट में देखने को मिलता है जैसे आप उपर फोटो में देख सकते है इसके साथ ही हमारा देश नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने वाला विश्व का 14वां देश बन गया |

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Nota की शुरुआत

चुनाव आयोग ने 2009 में सुप्रीम कोर्ट (SC) के सामने नोटा वोट का आप्शन देने की अपनी इच्छा को प्रकट किया था | बाद में नागरिक अधिकार संगठन पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने भी नोटा के समर्थन में एक जनहित याचिका दायर की, लेकिन इसका नेता लोगों ने कुछ विरोध भी किया लेकिन 2013 में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने अपना फैसला इसके पच्छ में सुनाया और 2013 के विधानसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में इनमें से कोई नहीं (None of the above, or NOTA) बटन का विकल्प उपलब्ध कराया गया | जिससे आप अपना विरोध दिखा सके ,हालाकि चुनाव आयोग ने बाद में ये साफ़ कर दिया था कि नोटा वोटों की गिनती तो की जाएगी लेकिन ये इनको रद्द की श्रेणी में रखा जाएगा और इनका चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

ऐसा नहीं है कि नोटा से पहले हमारे पास कोई आप्शन नहीं था | इससे पहले जब चुनाव बैलेट पेपर से हुआ करते थे | उस समय मतदाता अगर अपना बैलेट पेपर खाली जमा कर देता था | इसका मतलब यही समझा जाता थे की मतदाता को कोई भी उम्मीदबार पसंद नहीं आया | इसको मतदान कानून 1961 का नियम 49 0 कहा जाता है

49 o ये कहता है कि अगर कोई मतदाता वोट डालने गया है और वो फार्म 17A में एंट्री के बाद अपना वोट किसी को नहीं देना चाहता तो वहां मौजूद ऑफिसर को उसको इसके उपर कमेंट लिखना पड़ता है और वोटर के सिग्नेचर लिए जाते है जिससे वोट के दुरूपयोग से बचा जा सके | हालाँकि, यह प्रावधान SC द्वारा असंवैधानिक माना गया था क्योंकि इससे मतदाता की पहचान सुरक्षित नहीं थी।

क्या होगा अगर नोटा को उम्मीदवार से अधिक वोट मिले ?

जब हमको ये आप्शन दिया गया है कि हम इस आप्शन को भी चुन सकते है तो कभी ऐसा भी होगा की नोटा को ज्यदा वोट मिले , क्यूंकि आप सब जानते है हमारे नेता लोग कितने सरीफ है तो ऐसी स्थिति में क्या होगा भाई होगा तो कुछ भी नहीं क्यूंकि इनको इनवैलिड वोट माना जाता है मैं आपको ऐसे समझाता हूँ मान लेते है कुल 100 वोट डाले गए है जिनमे से 80 नोटा में पड़े है और 10 वोट एक उम्मीदवार को और बांकी के वोट बचे हुए उम्मीदवारो को तो ऐसी कंडीशन में भी वो उम्मीदवार जीतेगा जसको नोट से कम वोट मिले है तो अब आप कहंगे फिर इसका फ़ायदा ही क्या है इसको हम आगे समझते है

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Nota के फायदे

अभी के लिए इससे आप बस अपना विरोध दिखा सकते है इससे ज्यदा कुछ नहीं है इसकी काउंटिंग तो की जाती है और देखा जाता है कि लोगों ने उम्मीदवारो को कितना पसंद किया और कितना विरोध किया | इसके साथ ही ये आपको पूरी आज़ादी देता है कि आप किसी को भी न चुने क्यूंकि जरुरी नहीं है कि आप अपना वोट किसी को दे ही लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कोई न कोई तो चुना ही जायेगा |

मेरी राय

सबसे पहली बात ये मेरी निजी राये है जरुरी नहीं कि सबको पसंद आये ,तो मेरे ख्याल से ये एकदम बेकार आप्शन है जब तक इसमें कुछ बदलाब नहीं किये जाते है तबतक भाई ऐसे हथियार का क्या कम जिसको चलाने के बाद भी दुश्मन न मारे ऐसे विरोध करने से भी क्या लाभ जिससे कोई निष्कर्ष न निकले | जब अन्त में आपको किसी को चुन ही लेना है तो बेकार में ये आप्शन क्यों दिया गया है
अच्छा तो तब लगे जब nota के जितने पर इलेक्शन फिर से कराये जाये या उन उम्मीदवारो की जगह दुसरे खड़े किये जाये , नहीं तो कम से कम उनको कुछ समय के लिए बैन किया जाये | तब तो इसके आंख कान खुलेंगे और ये अपने काम को सीरियस लेंगे |मेरे ख्याल से अभी इससे हमे कोई फायदा नहीं है और इसके इसका बटन दवाना के मतलब के अपना वोट ख़राब करना इससे तो अच्छा में वोट देने ही न जाऊ बेकार में इतनी लम्बी लाइन में लगना जब इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला , आगे आपकी मर्जी आप चाहे तो nota पर वोट दे |

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