दुनिया में महंगाई अपने चरम सीमा पर है और उर्जा का भी संकट बढ़ते जा रहा है। जिसका मुख्य कारण रूस और यूक्रेन के युद्ध को माना जा रहा है। इसी बीच तेल को लेकर सऊदी अरब की तरफ से एक बयान आया है। जिसकी वजह से दुनिया के सभी देशों का सिरदर्द बढ़ गया है। सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने ऐलान किया कि, सऊदी अरब ने तेल कीमतों को लेकर आगे कोई भी एक्शन लेने से इनकार कर दिया है। प्रिंस फैसल बपिन फरहान ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरस में कहा, जहां तक हम जानते हैं, तेल की कोई कमी नहीं है। हम जो कर सकते थे, वो कर चुके हैं।
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इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक सऊदी अरब दुनिया में तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है। बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए मार्च में आईईए ने 10 पॉइंट प्लान तैयार किया था ताकि स्टॉक से ज्यादा तेल रिलीज किया जा सके।
रूस दुनिया में तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में शामिल है और यूक्रेन पर हमले के बाद दुनियाभर में ऊर्जा संकट पैदा हो गया है। कच्चे तेल की कीमतें पिछले एक साल में 70% बढ़ी हैं और रूस के हमले के शुरू होने के बाद से $110 प्रति बैरल से 20% बढ़ गया है।
फातिह बिरोल ने कहा, 'हमारे अनुमान के मुताबिक फिलहाल तेल की सप्लाई नियंत्रण में है। और सऊदी अरब इसे ज्यादा तेल सप्लाई नहीं करेगा। यह बैरल को बाजार में लाने से ज्यादा मुस्किल है। तेल की कीमत बढ़ने से अमेरिका में महंगाई आसमान छू रही है, जो अप्रैल माह में 8.3% थी। आईईडी के कार्यकारी निदेशक ने भी चेतावनी दी है कि गर्मियों में इसके बढ़ने से वैश्विक मंदी का सामना करना पड़ा सकता है।
प्रिंस फैसल ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में कहा, ये गर्मी मुश्किल भरी होगी क्योंकि गर्मियों में तेल की मांग आम तौर पर सबसे ज्यादा होती है। वैश्विक ऊर्जा बाजारों में ऊर्जा की कीमतों को कम रखने के लिए जो कोई कुछ कर सकता था। उसे करना चाहिए। लेकिन फातिह बिरोल ने तर्क दिया कि तेल की बढ़ती कीमतों का समाधान सप्लाई को बढ़ाने नही। बल्कि रिफाइनरियों में और निवेश करना है।
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