अनुरागिणी यक्षिणी |
"यक्षिणी साधना संपूर्ण विधि विधान- भाग -10" “Yakshini Sadhana to Get Answers for Everything - Part-10”
(9) अनुरागिनी यक्षिणी
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साधन का समय---
शाम के पांच बजे निर्जन स्थान में जहाँ की भूमि समतल हो वहाँ पर साधन करे। सत्ताइसवें दिन जाकर यक्षिणी अपना प्रभाव दिखावेगी।
साधन मन्त्र
ॐ नमः अनुरागिनो यक्षिणी नमः हनि हनि हनि पति पचि फट स्वाहा ।
ऊँट के बालों की माला बनाकर तीस- हजार जाप नित्य प्रति करे। सत्ताइस दिन पीछे यक्षिणी स्वप्न में दिखाई देगी ।
अनुरागिनी का आगमन--
इन्द्र की अप्सरा के आने से पहले लालरज्भ का फर्श बिछा हुआ दिखाई देता है। बैलों के झुण्ड के झुण्ड आते हुए दीखते हैं जिन पर अनेक रूप धारण किये विकट खोपड़ी बाले भूत दिखाई देने हैं। सबके पीछे अनुरागिनी यक्षिणी की सवारी आती है। यह ऊँट पर बेठी हुई पीछे की ओर मुह किये हुये होती है ।
अनुरागिनी यक्षिणी का स्वरूप--
लाल रज्छ के वस्त्र घारण किये मुख में पान खाये नाक में नथ भलकाती हुईं लम्बी भुजायें हाथों की अँगुली एक एक बालिस्त लम्बे नाखून चार इंच चोड़े, पैर नाटे, बिना पंजे वाली, एक हाथ में कपाण और दूसरे, में मुण्ठमाल लिए होती है ।
प्रभाव- यह आते ही साधक की ओर सीधी चढ़ी हुई चली आती है। यदि साधक भयभीत हो गया हो पागल बना देती है वरना इच्छानुसार काम करती है ।