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"यक्षिणी साधना संपूर्ण विधि विधान- भाग -14" “Yakshini Sadhana to Get Answers for Everything - Part-14”

शोभना यक्षिणी

"यक्षिणी साधना संपूर्ण विधि विधान- भाग -14" “Yakshini Sadhana to Get Answers for Everything - Part-14”

(13) शोभना यक्षिणि

साधन का समय- इसके सिद्ध करने का समय रात्रि के एक बजे का है । आंपाढ़ बदी 15 गुरुवार के दिन स्वाती नक्षत्र में इसको सिद्ध करना प्रारम्भ करके और बलिदान के हेतु तेल और गड में आटा गुंध कर लड्डू बनावे | प्रति दिन जाप समाप्त कर काले कुत्ते को एक सौ आठ लड्डू नित्य प्रति खिला दिया करे । इस प्रकार तीस दिन तक रोज तेल और गुष्ट के 108 लड्डू बनावे । अन्तिम दिन तेल, बेसन ओर गुड़ के 108 लड्डू बनाकर कुत्तों को खिला दे ।

साधन का मन्त्र -

  शोभनाय: शोभनाय: शोभनाय नमः ।

निराकारो निरामासो वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ॥।

केथ बृक्ष की छाया में बेठकर तीन दिन तक जाप करता रहे । जाप करने की माला चिकनी मिट्टी के दानों की बनावे और उसमें कंवारी कन्या के हाथ का काता हुआ सूत डाले । यह सृत विशाखा नक्षत्र में काता जाता है । इसकी कपास प्राकृतिक रूप से पैदा होती है इसको कोई जोतता बोता नहीं स्वयं बरसात में अपने आप इसके पेड़  उग आते हैं और पंचक त्याग कर इसकी कपास लाईं जाती है, फिर उसको कंवारी कन्या के हाथ से कतवाते हैं। इस जाप की माला सवा लक्ष एकाग्रचित्त सेजपी जाती है। समाप्ती होने पर कन्या व लाँगुराओ को भोजन हलुआ और चनों का साक कराया जाता है फिर उनको लाल रंग के वस्त्र पहिना कर यथाशक्ति दान दिया जाता है।

शोमना यक्षिणी का स्वरूप- जब यह आती है अनेक प्रकार के रूप बदलती हुई आती है। किसी-किसी समय तो भयंकर शब्द तक सुनाने लगती है। कभी 2 इसके साथ में अनेक स्त्रियाँ आती हुईं दिखाई देती हैं कभी स्वयं अनेक प्रकार से नाचती हुई दीखती है | कभी रोती हुईं आती है। इसका प्रचंड कोप बड़ा भयानक होता है। साधक को चाहिये कि सावधानी के साथ बैठा रहे और चित्त को विवलित न करे वरना पागल हो जायेगा।

शाभना यक्षिणी का स्वरूप - कुरूपिणी, एक आँख ऊपर को चढ़ी हुईं, माथा टेढ़ा देखते ही घृणा उत्पन्न होती है। मदिरा मांस में अधिक रुचि रखतो है । गले में अनेक प्रकर को खोपड़ी लाल रंग से रंगी हुईं पड़ी हुई होती है।

प्रभाव- यह आते ही साधक को पटक देती है।अनेक प्रकार के दुर्व्यवहार करती है। यदि इसको साधक सह गया तो मालामाल कर देती है।

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