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Radha ki Mrityu Kaise Hui | राधा जी की मृत्यु कैसे हुई?

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सबका आज के बहुत ही Emotional Post (Radha ki Mrityu Kaise Hui) में। अब इसे मैं emotional क्यों बोल रहा हूँ, इसका ज्ञान आपको जल्दी ही हो जायेगा।
आज के इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे की आखिर किस कारण श्री राधा रानी की मृत्यु हुई थी और क्यूँ श्री कृष्ण ने फिर कभी बांसुरी नहीं बजाई?

Radha ki Mrityu Kaise Hui | राधा जी की मृत्यु कैसे हुई?

Disclaimer: यह पोस्ट विशुद्ध रूप से आध्यात्मिक पुस्तकों, लोककथाओं, लोक कथाओं, लोकप्रिय संस्कृति के विश्वासों, कहानियों, इंटरनेट और यूट्यूब के ज्ञान और जानकारी पर आधारित है। भक्ति वर्षा का इरादा किसी भी धार्मिक, विश्वास, संप्रदाय, सामाजिक मानदंडों या संस्कृति की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है।

वैसे राधा जी की मृत्यु कैसे हुई इसकी जानकारी हमें किसी भी पुराण के द्वारा नहीं मिलती है यह जानकारी हमें केवल लोग कथाओं के माध्यम से ही मिलती है।

दोस्तों जब भी प्रेम की बात होती है तो राधा कृष्ण के प्रेम की मिसाल सबसे पहले आती है। राधा कृष्ण के प्रेम को जीवात्मा और परमात्मा का मिलन कहा जाता है। कहा जाता है की श्री कृष्ण को केवल दो ही चीजें सबसे ज्यादा प्रिय थीं, और ये दोनों ही चीजें आपस में एक दूसरे से जुडी हुई थीं। और वो थी बांसुरी राधा।

कृष्ण के जन्म, राधा के जन्म तथा उनकी दोस्ती की कहानी तो बहुत प्रचलित हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की राधा जी की मृत्यु कैसे हुई? आखिर क्या कहानिया प्रचलित हैं उनकी मृत्यु को लेकर? दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम यही जानने की कोशिश करेंगे।

Radha ki Mrityu Kaise Hui?

राधा कृष्ण के जीवन का सबसे सुन्दर पहलू बरसाने की जान और श्री कृष्ण की शान थी, कहा जाता है की लोक कथाओं के अनुसार राधा जी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में अपना घर छोड़ दिया था, और श्री कृष्ण से मिलने द्वारका चली गयीं थी।

कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद से राधा का जिक्र बहुत काम हो गया, राधा और कृष्ण जब आखिरी बार मिले थे तो राधा ने कृष्ण से कहा था, भले ही वह उनसे दूर जा रहे हैं किन्तु मन से कृष्ण हमेशा उनके साथ ही रहेंगे।

इसके बाद कृष्ण मथुरा गए और कंस और बाकी राक्षषों को मारने का अपना काम पूरा किया, इसके बाद प्रजा की रक्षा के लिए श्री कृष्ण द्वारका चले गए और द्वारकाधीश बन गए।

जब कृष्ण वृन्दावन से निकल गए तब राधा की जिंदगी ने अलग ही मोड़ ले लिया था, राधा की शादी अयान से हो गयी, राधा ने अपने दांपत्य जीवन की सारी रस्में निभाई और बूढी हो गयी, लेकिन उनका मन तब भी श्री कृष्ण के लिए समर्पित था, राधा ने पत्नी के तौर पर अपने सारे कर्तव्य पुरे किये, और दूसरी तरफ श्री कृष्ण ने अपने दैवीय कर्तव्य निभाए, सारे कर्तव्यों से मुक्त होने के बाद राधा आखिरी बार अपने अपने प्रियतम श्री कृष्ण से मिलने गयी।

जब राधा द्वारका पहुंची तो उन्होंने कृष्ण के रुक्मणि और सत्यभामा से विवाह के बारे में सुना, और बहुत दुखी हुई, जब कृष्ण ने राधा को देखा तो बहुत प्रसन हुए, दोनों संकेतों की भाषा में काफी देर तक बातें करते रहे।

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राधा जी को श्री कृष्ण की द्वारका में कोई नहीं जनता था. राधा के अनुरोध पर श्री कृष्ण ने राधा को महल में एक देविका के रूप में नियुक्त किया, राधा दिन भर महल में रहती थी और महल से जुड़े कार्य देखती थी, मौका मिलते ही वह कृष्ण के दर्शन कर लेती थी लेकिन महल में राधा, श्री कृष्ण के साथ पहले की तरह आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रही थी।

इसीलिए राधा ने महल से दूर जाने का निर्णय लिया और सोचा की दूर जाकर वह श्री कृष्ण से दोबारा गहरा आत्मिक सम्बन्ध स्थापित कर पाएंगी, उन्हें नहीं पता था की वह कहाँ जा रहीं हैं, लेकिन भगवन श्री कृष्ण जानते थे।

लेकिन जैसे जैसे समय बिता तो राधा बिलकुल अकेली और कमजोर हो गयी, उस वक़्त उन्हें भगवान श्री कृष्ण की आवश्यकता पड़ी, आखिरी समय में भगवान श्री कृष्ण उनके सामने आ गए।

कृष्ण ने राधा से कहा की वह उनसे कुछ मांगे लेकिन, राधा ने मन कर दिया, कृष्ण के दोबारा अनुरोध करने पर राधा ने कहा की वह उन्हें आखिरी बार बांसुरी बजाते देखना चाहती है।

श्री कृष्ण ने बांसुरी ली और अपनी जिंदगी की सबसे सुरीली बांसुरी उन्होंने उस दिन बजायी थी, श्री कृष्ण ने दिन रात बांसुरी बजायी जब तक की राधा आध्यात्मिक रूप से श्री कृष्ण में विलीन नहीं हो गयी।

बांसुरी की धुन सुनते सुनते राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया, हांलाकि श्री कृष्ण जानते थे की उनका प्रेम अमर है, पर बावजूद इसके वह राधा की मृत्यु को बर्दाश्त नहीं कर सके, कृष्ण ने प्रेम के प्रति कामनाकांत के रूप में बांसुरी तोड़ के झाड़ियों में फेक दी।

इसके बाद श्री कृष्ण ने जीवन में कभी बांसुरी या अन्य कोई वादक यंत्र नहीं बजाया, कहा जाता है जब द्वापर युग में नारायण ने श्री कृष्ण का जन्म लिया था, तब माँ लक्ष्मी ने राधा रानी का रूप लिया था। ताकि मृत्यु लोक में भी वह प्रभु के साथ ही रहें।

तो दोस्तों आपको आज का यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। और आपका Radha ki Mrityu Kaise Hui के बारे में क्या कहना है यह भी बताएं। और अगर इस लेख में अगर कोई त्रुटि हुई हो तो हमें क्षमा करें और क्या गलत है या सूचित करें।

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