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पुराण कितने है, उनके नाम क्या है और उनका महत्व क्या है?

क्या आप जानते हैं कि पुराण क्या है? पुराण का शाब्दिक अर्थ क्या है? और पुराण कितने हैं (Puran kitne h)?

पुराण का अर्थ है प्राचीन आख्यान अथवा रचना। हमारे सनातन धर्म में सभी धार्मिक ग्रंथों में से पुराण का विशेष महत्व है तथा ये प्राचीनतम ग्रंथों में से एक है। इन पुराणों में लिखी बातें और ज्ञान आज भी सही साबित हो रहे हैं। पुराण में लिखा ज्ञान हमारी हिन्दू संस्कृति और सभ्यता का आधार है। इस बात से सभी सहमत हैं लेकिन पुराण क्या है और पुराण कितने हैं (Puran kitne h) ये सभी नहीं जानते।

पुराण में हिन्दू धर्म के ईश्वर, संतों, ऋषि मुनियों और वीर राजाओं, उनके द्वारा रची लीलाओं, उनके जीवन और उनके सिद्धान्तों को विस्तार रूप से दर्शाया गया है। पुराण संस्कृत भाषा में लिखे गए, जिन्हें बाद में हिंदी और अंग्रेजी में अनुवादित किया गया ताकि आम जनता पुराणों को पढ़ पाए, समझ पाए और जीवन में अपना पाए। पुराण कितने हैं (Puran kitne h) और उनका नाम क्या है और उनमें क्या क्या बताया गया है ये सब आज आपको इस पोस्ट में पता चलने वाला है।

पुराण कितने हैं? Puran Kitne Hai?

पुराण क्या है आपने समझ लिया लेकिन क्या आप जानते हैं पुराण कितने हैं (Puran kitne h)?  आपके सवाल puran kitne hai का जवाब है, हिन्दू धर्म में कुल 18 पुराण है जिनके नाम है- ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, मार्कण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, लिङ्ग पुराण, वाराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण।

इन सभी पुराणों में देवी देवताओं पर आधारित कई गाथाएँ कही गई हैं जिसमें पाप – पुण्य और धर्म – अधर्म के युद्ध के बारे में भी बताया गया है। कुछ पुराणों में इस खुबसूरत सृष्टि की रचना से लेकर उसके अंत तक का विवरण है। पुराण में व्यक्ति के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु के बाद स्वर्ग या नरक तक की यात्रा का भी विवरण है।

शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म देव ने अपने पुत्र मारीच को कहा था जो व्यक्ति अपने जीवन काल में इन 18 पुराणों के नाम और उसकी लिखित गाथा की विषय सूची का श्रवण या पाठ करता है वह इन सभी 18 पुराणों से मिलने वाले पुण्य को पा लेता है और साथ ही उसे मोह माया से मुक्ति मिल जाती है। चलिए अब जानते हैं कि पुराण कितने हैं (Puran kitne h)?

18 पुराणों के नाम (18 Puran Ke Naam in Hindi)     

कुछ लोगों के मन में हमेशा ये सवाल होता है कि पुराण कितने हैं (Puran kitne h) और जब उन्हें पता चल जाता है कि 18 purans हैं तो अब वो सोचने लग जाते हैं कि 18 puran ke naam क्या है। उनकी इसी उत्सुकता को शांत करने के लिए हमने उनके लिए ये पोस्ट “पुराण कितने हैं (Puran kitne h)” तैयार की हैं इसलिए इसे अंत तक जरुर पढ़ें।

1) ब्रह्म पुराण (Brahma Puran)

क्या आप जानते है ब्रह्म पुराण क्या है? ब्रह्म पुराण के रचयिता कौन है? 18 पुराण के नाम की लिस्ट में ब्रह्म पुराण सबसे पहला और पुराना पुराण है। ब्रह्मपुराण के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी है तथा इस पुराण को महापुराण भी कहते हैं। व्यास जी ने इसे संस्कृत भाषा में लिखा।

महर्षि व्यास जी ने ब्रह्म पुराण के 10 हज़ार श्लोकों में कई महत्वपूर्ण बातों और कथाओं के बारे में बताया है, जैसे सृष्टि का जन्म कैसे हुआ, धरती पर जल की उत्पत्ति कैसे हुई, ब्रह्मा जी और देव दानवों का जन्म कैसे हुआ, सूर्य और चन्द्र के वंशज कौन थे, श्री राम और कृष्ण की अवतार गाथा, ब्रह्म पूजन विधि, माँ पार्वती और शिव जी के विवाह, विष्णु जी की पूजन विधि, श्राद्ध, भारतवर्ष आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है।

इसमें अनेक तीर्थों के बारे में सुन्दर और भक्तिमय आख्यान भी दिए गए है, साथ ही इस पुराण में कलयुग का भी विवरण दिया गया है। ब्रह्म देव् को आदि देव भी कहते है इसलिए इस पुराण को आदि पुराण के नाम से भी जाना जाता है। पुराण कितने हैं (Puran kitne h) के सवाल का एक पड़ाव आपने जान लिया।

2) पद्म पुराण (Padma Purana)

क्या आप जानते हैं कि पद्म पुराण ( Padma Purana ) क्या है और इसके रचयिता कौन हैं? पद्म का अर्थ है कमल का फूल, इसकी रचना भी महर्षि वेद व्यास जी ने संस्कृत भाषा में की तथा इसमें 55 हज़ार श्लोक है। इस पुराण में बताया गया है कि ब्रह्मदेव श्री नारायण जी के नाभि कमल से उत्पन्न हुए थे और उन्होंने सृष्टि की रचना की।

इस पुराण के 5 खंडो में श्रुष्टि खंड, भूमि खंड, स्वर्ग खंड, पाताल खंड और उत्तर खंड में भगवान विष्णु की महिमा, श्री कृष्ण और श्री राम की लीलाओं, पवित्र तीर्थों की महानता, तुलसी महिमा, विभिन व्रतों के बारे में सुन्दर और अद्भुत विवरण दिया गया है। इसके साथ ही आपने पुराण कितने हैं (Puran kitne h) का दूसरा पड़ाव जान लिया।

3) विष्णु पुराण (Vishnu Purana)

क्या आपको पता है विष्णु पुराण क्या है और इसके रचयिता कौन हैं? विष्णु पुराण एक पवित्र पुराण है जिसमें 23000 श्लोकों के द्वारा भगवान विष्णु जी की महिमा का अद्भुत विवरण किया गया है। विष्णु पुराण के रचयिता पराशर ऋषि हैं, उन्होंने ये पुराण संस्कृत भाषा में लिखा।

इस पुराण में देवी देवताओं की उत्पत्ति, भक्त प्रह्लाद की कथा, समुद्र मंथन, राज ऋषियों और देव ऋषियों के चरित्र के बारे में तार्किक ढंग से बताया गया है, साथ ही इसमें कृष्ण और रामकथा का भी उल्लेख है। इसके अलावा इसमें ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, गृह नक्षत्र, पृथ्वी, ज्योतिष, आश्रम व्यवस्था, वर्णव्यवस्था, गृहस्थ धर्म, वेद की शाखाओं, श्राद्ध विधि, विष्णु जी और लक्ष्मी माँ की महिमा आदि का भी वर्णन है। इसके साथ ही आप पुराण कितने हैं (Puran kitne h) का तीसरे पड़ाव को जान चुके हो।

4) वायु पुराण (Vayu Puran)

क्या आप जानते है वायु पुराण क्या है और वायु पुराण के रचयिता कौन हैं? वायु पुराण को शैव पुराण भी कहते है तथा इसके रचयिता है श्री वेद व्यास जी। 112 अध्याय, 2 खण्डों और 11000 श्लोकों वाले वायु पुराण में भुगोल, खगोल, युग, सृष्टिक्रम, तीर्थ, युग, श्राद्ध, पितरों, ऋषि वंश, राजवंश, संगीत शास्त्र, वेद शाखाओं, शिव भक्ति आदि का विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है।

इसमें शिव जी की पूजन विधि और उनकी महिमा का विस्तृत वर्णन होने के कारण इसे शिव पुराण भी कहा जाता है। इस पुराण में भारत के बारे में भी लिखा गया है तथा नदी, पर्वतों, खण्डों, द्वीपों और लंका के बारे में भी लिखा गया है। इसके अलावा इसमें वरुण वंश, चंद्र वंश आदि का भी सुन्दर विवरण है। इसके साथ ही आप अब पुराण कितने हैं (Puran kitne h) के चौथे पुराण के बारे में जान चुके हैं।

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5) भागवत पुराण (Bhagwat Puran)

क्या आपको पता है भागवत पुराण क्या है और भागवत पुराण के रचयिता कौन हैं? भागवत पुराण हिन्दू धर्म के 18 पुराणों में से पांचवा पुराण है और इसे भागवत और श्रीमद्भागवतम् के नाम से भी जाना जाता है। इसके रचयिता है वेद व्यास जी और उन्होंने इस पुराण को संस्कृत में लिखा। भागवत पुराण में 12 स्कंध  और 18000 श्लोक हैं। कहते हैं ये पुराण आत्मा की मुक्ति का मार्ग बताता है।

इस पुराण का मुख्य बिंदु प्रेम और भाव भक्ति है। इसमें श्री कृष्ण को भगवान के रूप में बताया गया है और उनके जन्म, प्रेम और लीलाओं का विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है। इसमें पांडवों और कौरवों के बीच हो रहे महाभारत युद्ध और उसमें कृष्ण की भूमिका के बारे में भी बताया गया है। साथ ही श्रीकृष्ण ने  कैसे देह त्यागा और कैसे द्वारिका नगरी जलमग्न हुई और कैसे समस्त यदुवंशियो का नाश हुआ ये भी बताया गया है। पुराण कितने हैं (Puran kitne h) का एक और हिस्से के बारे में आप जान चुके हैं।

6) नारद पुराण (Narada Purana)

क्या आपको इस बात की जानकारी है कि नारद पुराण क्या है और नारद पुराण के रचयिता कौन हैं? नारद पुराण को नारदीय पुराण भी कहते है। ऐसा माना जाता है कि ये वैष्णव पुराण स्वयं नारदमुनी ने कही, जिसे महर्षि वेद व्यास जी ने संस्कृत भाषा में लिखा था। इस पुराण में शिक्षा, ज्योतिष, व्याकरण, गणित और ईश्वर की उपासना कि विधि का विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है।

इसमें 25000 श्लोक हैं और इसके दो भाग है। पहले भाग में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और विनाश, मंत्रोच्चार, गणेश पूजा और अन्य पूजन विधियाँ, हवन और यज्ञ, महीनों में आने वाले व्रतों और विधियों के बारे में बताया गया है। दूसरे भाग में विष्णु जी के अवतारों से जुड़ी कथाओं का सुन्दर विवरण है तथा इसमें कलियुग में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी बताया गया है। पुराण कितने हैं (Puran kitne hai) प्रश्न के उत्तर में 18 पुराणों की लिस्ट में से छठे पुराण को जान लिया है।

7) मार्कण्डेय पुराण (Markandeya Purana)

क्या आपको पता है मार्कण्डेय पुराण क्या है और मार्कण्डेय पुराण के रचयिता कौन हैं? मार्कंडेय पुराण 18 पुराणों में से 7 वां पुराण है। इसमें 137 अध्याय और 9000 श्लोक है तथा ये पुराण बाकी पुराणों से छोटा है। महर्षि मार्कंडेय द्वारा कहे जाने के कारण इसे मार्कंडेय पुराण कहते है। ऐसा कहा जाता है कि ये पुराण दुर्गा चरित्र के विवरण के लिए जाना जाता है। इस पुराण में ऋषि ने मानव कल्याण के लिए भौतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, नैतिक विषयों के बारे में बताया है।

इस पुराण में पक्षियों के पूर्व जन्म और देव इंद्र द्वारा मिले श्राप के कारण हुए रूप विकार के बारे में भी बताया गया है। इसमें द्रौपदी पुत्रों की कथा, बालभद्र कथा, हरिश्चंद्र की कथा, बक और आदि पक्षियों के बीच हुआ युद्ध, सूर्य देव के जन्म आदि का भी उल्लेख है। इसके साथ ही आपने पुराण कितने हैं (Puran kitne h) सवाल के उत्तर का एक और हिस्सा जान लिया।

8) अग्नि पुराण (Agni Purana)

अग्नि पुराण क्या है तथा अग्नि पुराण के रचयिता कौन हैं? क्या आप जानते हैं? अग्नि पुराण 18 पुराणों में से 8वां पुराण है। इसके रचयिता वेद व्यास जी है और उन्होंने इसे संस्कृत भाषा में लिखा। अग्नि पुराण का नाम अग्नि पुराण इसलिए पड़ा क्योंकि इसे स्वयं अग्नि देव ने गुरु वशिष्ठ को सुनाया था। विस्तृत ज्ञान भण्डार और विविधता के कारण इसका विशेष स्थान है। इस पुराण में त्रिदेवों अर्थात ब्रह्म देव, विष्णु देव और शिव जी का वर्णन, सूर्य पूजन विधि का भी उल्लेख, महाभारत और रामायण का संक्षिप्त विवरण है। इसके साथ ही इसमें कूर्म और मत्स्य अवतार, दीक्षा विधि, सृष्टि का सृजन, वास्तु शास्त्र, पूजा, मंत्रों आदि का सुन्दर प्रतिपादन है।

अग्नि पुराण में 383 अध्याय और 12  हजार श्लोक है। इस पुराण को विष्णु भगवान का बायां चरण भी कहते है। ये पुराण आकार में सबसे छोटा है, फिर भी इसमें सभी विद्याओं का समावेश है। कितने पुराण है (kitne puran hai) इसका जवाब आपको काफी हद तक मिल गया होगा।

9) भविष्य पुराण (Bhavishya Puran)

क्या आप जानते हैं कि भविष्य पुराण क्या है और इसके रचयिता कौन है? भविष्य पुराण 18 पुराणों में से 9 वां पुराण है तथा इसकी रचना महर्षि वेद व्यास जी ने संस्कृत भाषा में की थी। भविष्य पुराण में 14500 श्लोक हैं तथा इसमें धर्म, नीति, सदाचार, व्रत, दान, आयुर्वेद और ज्योतिष आदि का उल्लेख है। इसमें विक्रम बेताल के बारे में भी बताया गया है।

जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है इसमें कई भविष्यवाणियाँ की गई जो सही साबित हुई। इसमें पृथ्वीराज चौहान, हर्षवर्धन महाराज, शिवाजी महाराज जैसे वीर हिन्दू राजाओं और मुहम्मद तुगलक, अलाउद्दीन, बाबर, तैमूरलंग, अकबर, रानी विक्टोरिया आदि के बारे में कहा गया है। इसकी शैली और विषयवस्तु के कारण ये पुराण बहुत महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। इसमें सूर्य देव की पूजन विधि और महिमा का भी विवरण है। अब आपको पुराण कितने हैं (Puran kitne h) सवाल के एक और हिस्से की जानकारी हो गयी है।

10) ब्रह्म वैवर्त पुराण (Brahma Vaivarta Purana)

क्या आप जानते हैं कि ब्रह्म वैवर्त पुराण क्या है और ब्रह्म वैवर्त पुराण के रचयिता कौन है? ब्रह्म वैवर्त पुराण 18 पुराणों में 10वां पुराण है तथा इसके रचयिता है वेद व्यास जी और इसे उन्होंने संस्कृत भाषा में लिखा गया। इसमें 218 अध्याय और  18000 श्लोक हैं। इसमें कई स्त्रोत और भक्ति पूर्ण आख्यान हैं। इस पुराण में यशोदानंदन को ही परब्रह्म माना गया है और ये भी माना गया है कि उनकी इच्छा अनुसार ही इस सृष्टि का निर्माण हुआ। ये भी बताया गया है कि कृष्ण से ही शिवजी, विष्णु जी, ब्रह्म देव और समस्त प्रकृति का जन्म हुआ।

इस पुराण में धरती पर जीवों की उत्पत्ति कैसे हुई और कैसे सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी ने धरती, जल और वायु में अनगिनत जीवों के जन्म और उनके लिए पालन पोषण की व्यवस्था की, इस बात का विस्तारपूर्वक विवरण दिया है।  इसमें श्री राम और श्री कृष्ण की लीलाओं, गणेश जी के जन्म कथा और उनकी लीला का भी वर्णन है।

11) लिङ्ग पुराण  (Linga Purana)

क्या आप जानते हैं कि लिङ्ग पुराण क्या है और इसके रचयिता कौन है? लिङ्ग पुराण 18 पुराणों में से 11वां पुराण है तथा इसके रचयिता वेद व्यास जी है।  इसके 11000 श्लोकों में शिव महिमा का सुंदर चित्रण किया गया है। इसमें भोलेनाथ के 28 अवतारों के बारे में बताया गया है तथा इसमें रुद्रावतार और लिंगोद्भव की कथा का भी विवरण है।

इस पुराण में सृष्टि के कल्याण के लिए भोलेनाथ द्वारा ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट होने की घटना का भी विवरण है। इसके अलावा इसमें उन व्रतों, शिव पूजन और यज्ञ का भी उल्लेख है जिसे करने से मुक्ति प्राप्त होती है।

12) वराह पुराण (Varaha Purana)

क्या आप जानते हैं कि वराह पुराण क्या है और वराह पुराण के रचयिता कौन है? वराह पुराण 18 पुराणों में से 12 वां पुराण है और इसके रचयिता महर्षि वेद व्यास है। उन्होंने इसे संस्कृत भाषा में लिखा है तथा इस पुराण में 270 अध्याय और 10000 श्लोक हैं।  इस पुराण में विष्णु जी के वराह अवतार का उल्लेख है। ऐसा माना जाता है कि विष्णु जी धरती के उद्धार के लिए वराह रूप में अवतरित हुए थे, इसमें वराह कथा, व्रत, तीर्थ, दान, यज्ञ आदि का वर्णन है। इसमें श्री नारायण जी की पूजा विधि, माँ पार्वती और शिवजी की कथा, तीर्थों



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