New Delhi : एक मां ने रात दिन मेहनत करके उसके बेटे को कैसे फौजी बनाया आज हम आपको इनकी कहानी बता रहे हैं। हिमाचल के चंबा जिला के चुराह घाटी की पंचायत बघेईगढ़ के गांव कुंणगा की बहादुर महिला खूब देई की ने बेटों की परवरिश के लिए न तो पांव के छाले देखे न कभी जमाने की परवाह करते हुए हौसले को टूटने दिया।
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बात करीब 12 साल पहले की है। खूब देई के दो बेटे थे। एक बेटा 12 साल का व दूसरा नौ साल का। उस समय खूब देई के पति को किसी मामले में जेल हो गई। अब पूरे परिवार का बोझ उसके कंधों पर आ गया। खूब देई ने तय कर लिया कि जिस गरीबी को उसने देखा उसके बच्चे वो न देखें। बच्चों को दूर के स्कूल में दाखिल करवा दिया। खूब देई ने निश्चय किया कि वह घोड़ा चलाकर (घोड़े पर सामान ढोकर) बच्चों को पढ़ाएगी। घोड़ा चलाना न सिर्फ उसके लिए शारीरिक रूप से कष्टदायक था बल्कि समाज के ताने भी सुनने पड़े क्योंकि यहां घोड़ा सिर्फ पुरुष चलाते थे।
घर पहुंचने के लिए खूब देई को रोजाना 15 से 20 किलोमीटर का सफर करना पड़ता। उसने बेटों को न सिर्फ बारहवीं तक पढ़ाया, बल्कि चंबा कॉलेज में दाखिला भी दिलवाया। बीते दिनों पालमपुर में सेना की भर्ती हुई तो उसका बेटा रवि भारतीय सेना में सिलेक्ट हो गया। बेटे के फौज में भर्ती होने पर खूब देई ने पूरे गांव में मिठाई बांटी। इस दौरान उसका पति फागणु भी जेल से छूट गया। दूसरा बेटा बंटी शर्मा कराटे में ब्लैक बेल्ट है और सोलन में प्रशिक्षण ले रहा है। खूब देई के संघर्ष की आज पूरे समाज में चर्चा है।
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