New Delhi: कई छात्र आज भी अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति के कारण किताबें नहीं खरीद पाते हैं जिसके कारण उनके सपने अधूरे रह जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए मसीहा बनकर आगे आए हैं चंडीगढ़ के संदीप कुमार। संदीप “ओपन आई फाउंडेशन” नाम से एक एनजीओ चलाते हैं। उन्होंने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और अन्य क्षेत्रों में उन छात्रों की पहचान के लिए दौरा करना शुरू किया, जो किताबें नहीं खरीद सकते हैं और उनकी मदद भी करने लगे।
उन्होंने पिछले दो वर्षों में लगभग 10,000 पुस्तकों का संग्रह किया है। अभी तक संदीप 4000 से ज्यादा बच्चों की मदद कर चुके हैं। उनका एनजीओ जल्द ही 200 गरीब बच्चों को गोद लेने वाला है। गोद लिए गए बच्चों को एनजीओ द्वारा अध्ययन के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। कुमार यह भी चाहते हैं कि अन्य लोग इस सामाजिक कार्य के लिए आगे आएं और गरीब बच्चों को शिक्षित करने में मदद करें।
Chandigarh:Sandeep Kumar goes door-to-door to collect books for poor children.He has collected around 10000 books till now;says,“Today 200 children are benefiting from this initiative.For taking books,one fills up form assuring that after fulfilling his purpose,he’ll return them” pic.twitter.com/YdW12nq8Tm
— ANI (@ANI) August 17, 2019
पुस्तकों के लिए संदीप कुमार के पास आने वाले लोग उनके इस कदम की सराहना करते हैं। उनके विचार में, वह गरीब छात्रों की बेहतरी के लिए समाज सेवा कर रहे हैं। ऐसे छात्र जो किताबें और स्टेशनरी की चीजें खरीदने में समर्थ नहीं हैं, उनके लिेए संदीप एक आशा की तरह हैं।
सामाजिक कारण के लिए आगे आने के कारण का खुलासा करते हुए, संदीप कुमार ने कहा कि जेबीटी प्रशिक्षण के दिनों में, उन्होंने पाया कि आर्थिक रूप से गरीब परिवारों के बच्चों के पास किताबें खरीदने के लिए संसाधन नहीं थे।
Sandeep Kumar: We have more than 30000 books, of CBSE, ICSE & state boards. More than 4000 children have benefitted with these books, till date. https://t.co/VUMy9LA3w9
— ANI (@ANI) August 17, 2019
कुमार ने कहा, “जब मैं चंडीगढ़ वापस आया, तो मुझे हालत बहुत भयानक लगे। मैं अपनी किताबों को देख रहा था तभी यह विचार मेरे दिमाग में आया कि अन्य लोग इन पुस्तकों का उपयोग कर सकते हैं। तो मैंने सोचा, मुझे ऐसे बच्चों के लिए किताबें लेनी चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए।”
“आज, हमारे पास 200 बच्चे हैं। ऐसे लोग हैं जो बच्चों को यहाँ झुग्गियों में मुफ्त ट्यूशन प्रदान करते हैं, हम उन बच्चों को किताबें भी प्रदान करते हैं। हम किताबें इकट्ठा करते हैं, स्कूलों में जाते हैं और प्रधानाचार्य या शिक्षक से उन बच्चों की सूची उपलब्ध कराने को कहते हैं जो जरूरतमंद हैं। सत्र समाप्त होने के बाद बच्चों को किताबें लौटानी होती हैं ताकि ये किताबें किसी दूसरे बच्चे के काम आ सकें।
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