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दुनिया के 5 शिवलिंग, जो साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं.. शिव की महिमा शिव ही जानें

NEW DELHI: शिव की महिमा शिव ही जानें। भगवान श‌िव की लीला है क‌ि जहां सभी देवी देवताओं के स्वरूप की पूजा होती है वहीं महादेव जो न‌िर्व‌िकार, न‌िराकार और ओंकार स्वरूप हैं उनकी ल‌िं’ग रूप में पूजा होती है। लेक‌िन यह श‌िवल‌ीला यहीं पर समाप्त नहीं होती है। भारत में कई श‌िवल‌िंग ऐसे हैं ज‌िन्हें चमत्कारी माना जाता है। कुछ श‌िवल‌िंग पर अपने आप जल की धारा बरसती है तो कुछ का आकार साल दरसाल बढ़ता जा रहा है।

इसके पीछे व‌िज्ञान है या चमत्कार यह तो लोग अपनी-अपनी बुद्ध‌ि करते हैं लेक‌िन चर्चा तो कुछ ऐसी ही है। तो आइये देखें उन श‌िवल‌िंगों को ज‌िनका आकार लागातर बढ़ता जा रहा है और इसके पीछे क्या मान्यता है। कुछ श‌िवल‌िंग तो ऐसे भी हैं ज‌िनके आकार का संबंध प्रलय से माना जाता है।

ह‌िमाचल प्रदेश में नाहन से करीब 8 क‌िलोमीटर की दूरी पर पौड़ीवाला श‌िव मंद‌िर है। इसका संबंध रावण से माना जाता है। कहते हैं क‌ि रावण ने इसकी स्‍थापना की थी। इसे स्वर्ग की दूसरी पौड़ी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है क‌ि हर वर्ष महाश‌िवरात्र‌ि के द‌िन यह श‌िवल‌िंग एक जौ के दाने के बराबर बढ़ता है। ऐसी धारणा है क‌ि इस श‌िवल‌िंग में साक्षात श‌िव व‌िराजते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।

श‌िव की नगरी काशी में कई श‌िव मंद‌िर हैं ज‌िनके व‌िषय अद्भुत कथाएं हैं। इनमें एक श‌िवल‌िंग है बाबा त‌िल भांडेश्वर का। कहते हैं यह सत्युग में प्रगट हुआ स्वयंभू श‌िवल‌िंग है। कल‌युग से पहले तक यह श‌िवल‌िंग हर द‌िन त‌िल आकार में बढ़ता था। लेक‌िन कलयुग के आगमन पर लोगों को यह च‌िंता सताने लगी क‌ि यह इसी आकार में हर द‌िन बढ़ता रहा तो पूरी दुन‌िया इस श‌िवल‌िंग में समा जाएगी। श‌िव की आराधाना की गई तब श‌िव जी ने प्रगट होकर कहा क‌ि अब से इस श‌िवल‌िंग का आकार हर साल मकर संक्रांत‌ि के द‌िन बढ़ेगा। कहते हैं उस समय से हर साल मकर संक्रांत‌ि के द‌िन इस श‌िवल‌िंग का आकार बढ़ता है।

गुजरात के गोधरा में स्थित मृदेश्वर महादेव के बढ़ते शिवलिंग के आकार को प्रलय का संकेत माना जाता है। इस शिव लिंग के विषय में मान्यता है कि जिस दिन लिंग का आकार साढ़े आठ फुट का हो जाएगा उस दिन यह मंदिर की छत को छू लेगा। जिस दिन ऐसा होगा उसी दिन महाप्रलय आ जाएगा। शिवलिंग को मंदिर की छत छूने में लाखों वर्ष लग सकते हैं क्योंकि शिवलिंग का आकार एक वर्ष में एक चावल के दाने के बराबर बढ़ता है। मृदेश्वर शिवलिंग की विशेषता है कि इसमें से स्वतः ही जल की धारा निकलती रहती है जो शिवलिंग का अभिषेक कर रही है। इस जल धारा में गर्मी एवं सूखे का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, धारा अविरल बहती रहती है।

खजुराहो का मतंगेश्वर श‌िवल‌िंग ज‌िसके बारे में मान्यता है क‌ि भगवान श्री राम ने भी यहां पूजा की है। 18 फुट के इस श‌िवल‌िंग के बारे में कहा जाता है क‌ि हर साल यह त‌िल के आकार में बढ़ रहा है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गरियाबंद जिला यहां एक प्राकृतिक शिवलिंग है ज‌िसे ‘भूतेश्वर महादेव’ के नाम से जाना जाता है। इस अर्धनारीश्वर शिवलिंग को ‘भकुर्रा महादेव’ भी कहा जाता है। मान्यता है क‌ि हर साल यह शिवलिंग एक इंच से पौन इंच तक बढ़ जाता है।

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