New Delhi: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में बुधवार को खुद को सबसे बड़ा गोपालक बताया है।
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खुद को सबसे बड़ा गोपालक बताते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि वह सुबह सबसे पहले उठकर गोशाला ही जाते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की एक तिहाई आमदनी पशुपालन क्षेत्र से आती है, जिसे हमलोग और बढ़ाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री पटना में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रथम स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
राजनीतिक गलियारों में नीतीश कुमार के इस बयान को केंद्रीय मंत्री और आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के यादव-कुशवाहा खीर वाले सियासी संकेत से जोड़कर देखा जा रहा है। पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में कुशवाहा ने कहा था, अच्छी खीर यादवों के दूध से और कुशवाहा समाज के लोगों द्वारा उपजाए गए चावल से ही बन सकती है। जाहिर है यादवों को पारंपरिक रूप से दुग्ध उत्पादन से जोड़कर देखा जाता है और बिहार में इस समाज को लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी का समर्थक माना जाता है। वहीं उपेंद्र कुशवाहा खुद कुशवाहा समाज से आते हैं, जिसके चावल की बात उन्होंने की।
मुख्यमंत्री ने देशी नस्ल की गायों को बढ़ावा देने पर बल देते हुए कहा, इसके लिए देशी सीमन की व्यवस्था करने की जरूरत है। जानवरों के बेहतर रखरखाव के लिए अच्छे अस्पताल के निर्माण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पशु अस्पतालों को प्रभावशाली बनाने के लिए अलग-अलग विभाग बनाकर विशेषज्ञों को बहाल करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा, बिहार में पशुपालन में काफी संभावना है। पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना होने से अनुसंधान और अध्ययन से नई-नई बातें सामने आएंगी, जिसका फायदा कृषि और संबंधित क्षेत्रों को मिलेगा। इससे बिहार को फायदा होगा, साथ ही यहां के किसानों को काफी लाभ होगा। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के माध्यम से बिहार देश का एक उदाहरण बनेगा।
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