New Delhi : सऊदी अरब में पाकिस्तान के दो किन्नरों की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। खैबर पख्तूनख्वा के इस जोड़े को रियाद में क्रॉस ड्रेसिंग (विपरीत जेंडर के कपड़े पहनने) के मामले में अरेस्ट किया गया था।
Related Articles
देश से बाहर ही नहीं देश के अंदर भी किन्नरों की हालत बहुत खराब है। ये आएदिन रेप, मर्डर और बदसलूकी का शिकार हो रहे हैं।
2012 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को आम नागरिकों के बराबर अधिकार देने का ऐलान किया। इन्हें आम नागरिक के तौर पर फैमिली प्रॉपर्टी में हिस्सा लेने और वोट का अधिकार हासिल हुआ।
इससे पहले 2009 सुप्रीम कोर्ट इन्हें तीसरे जेंडर हिजड़ा के तौर आइडेंटिटी दे ही चुका था। हालांकि, सोशल लाइफ में उन्हें बराबरी का दर्जा और सम्मान अब तक नहीं मिल पाया है।
इन्हें लगातार असमानता, हिंसा, सेक्शुअल हैरेसमेंट और बदसलूकियों का शिकार होना पड़ रहा है। इन्हें गुजारे के लिए भीख मांगकर, प्रॉस्टिट्यूशन या फिर नाच-गाकर पैसे जुटाने पड़ते हैं।
देश के कबायली इलाकों में इनके शोषण और इनके साथ हिंसा के मामले में बहुत ज्यादा सामने आए हैं। ऑनलाइन एक्टिविस्ट नेटवर्क ट्रांस एक्शन खैबर पख्तूनख्वा ने सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी कुछ लिखा भी था।
नेटवर्क के मुताबिक, ''खैबर पख्तूनख्वा में ऑर्गेनाइज्ड क्रिमिनल गैंग हैं, जो किन्नरों का सेक्शुअली और व्यवसायिक तौर पर शोषण कर रही हैं।'' ''इन मामलों में पुलिस जरा भी रुचि नहीं दिखाती है, जो इन्हें लेकर सोसायटी का नजरिया दिखाता है। एक्टिविस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो साल में करीब 45 किन्नर सिर्फ खैबर पख्तूनख्वा में मारे गए।
कुछ महीनों पहले मनसेहरा में एक किन्नर के साथ रेप की कोशिश का मामला सामने आया था। सेक्स के लिए मना करने पर हमलावरों के ग्रुप ने घर में घुसकर उस पर हमला बोल दिया था।
20 से 25 की उम्र की इस किन्नर से रेप की कोशिश में नाकाम होने पर पैर पर गोली मारी गई थी। इस घटना के कुछ हफ्तों पहले यानी मई में 23 साल की किन्नर एक्टिविस्ट अलीशा को पेशावर में गोली मार दी गई थी।
इसके बाद हॉस्पिटल में स्टाफ के लिए यही तय करना मुश्किल हो गया कि उसे फीमेल वॉर्ड में रखें या मेल वॉर्ड में। नतीजा ये हुआ था कि मेडिकल फेसिलिटी न मिलने के चलते अलीशा को जान गंवानी पड़ी।
This post first appeared on विराट कोहली ने शहीदों के नाम की जीत, please read the originial post: here