New Delhi: रक्षाबंधन के दिन दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक 'धनिष्ठा' नक्षत्र रहेगा तत्पश्चात् 'शतभिषा' नक्षत्र प्रारंभ होगा। ये दोनों ही नक्षत्र पंचक कारक हैं। शास्त्रानुसार पंचककाल को अशुभ माना गया है। किन्तु शास्त्रों में इसकी अशुभता दूर करने के भी उपाय बताए
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आइए जानते हैं, पंचक दोष निवारण के कौन से उपाय करना लाभप्रद रहेगा -
26 अगस्त 2018 को पंचक कारक नक्षत्र रहेंगे
ये हैं धनिष्ठा (दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक) एवं दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के पश्चात शतभिषा । यदि आप रक्षाबंधन दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से पूर्व कर रहे हैं तो रक्षाबंधन से पूर्व भाई-बहन निम्न मंत्र का 11 बार उच्चारण करें-'वसो पवित्रेति नम:। यदि आप रक्षाबंधन दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के पश्चात कर रहे हैं तो रक्षाबंधन से पूर्व भाई-बहन निम्नलिखित मंत्र का 11 बार उच्चारण करें-'वरणस्तम्भेति नम:'
किस समय बांधें राखी
अभिजित काल- दिन के 11 बजकर 05 मि. से- 12 बजकर 40 मि. तक , शुभ - प्रात: 9 से 12 दोप. तक, दोप. 2 से 3 बजकर 30 मि, सायं 6 बजकर 40 मि. से- 9 बजकर 30 मि. तक।
राहुकाल में भूलकर भी ना बांधे राखी
रक्षाबंधन पर कभी भी भद्राकाल में राखी नहीं बांधी जाती है। भद्राकाल में राखी बांधने पर अशुभ प्रभाव होता है। इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा। राखी बांधने के लिए सुबह से शाम तक काफी समय मिलेगा। लेकिन इस बात का खास ख्याल रखना होगा जब राहु काल हो तब राखी ना बांधे। 26 अगस्त को शाम 4.30 से 6 बजे तक राहुकाल रहेगा।
भद्रा के असर से अछूती है राखी
पिछले साल रक्षाबंधन के पर्व को भद्रा की नजर लगी हुई थी जिस कारण राखी बांधने के समय में फेरबदल था, लेकिन सौभाग्य से इस बार इस पावन पर्व को भद्रा की नजर नहीं लगी है। इसलिये बहनें भाइयों की कलाई पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच रक्षाबंधन का अनुष्ठान कर सकती हैं। अनुष्ठान का समय प्रात: 05:59 से सांय 17:25 बजे तक रहेगा। अपराह्न मुहूर्त 13:39 बजे से 16:12 बजे तक है।
इसलिये खास है इस बार राखी
रक्षाबंधन का यह पवित्र त्यौहार इस बार रविवार के दिन है। हालांकि सोमवार को भगवान भोलेनाथ का दिन माने जाने की वजह से श्रावण माह में सोमवार का महत्व कुछ बढ़ जाता है लेकिन आपको बता दें कि सावन माह का तो प्रत्येक दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है इसलिये रविवार के दिन होने से रक्षाबंधन का महत्व कम नहीं हो जाता।
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