New Delhi: एक बार की बात है जब एक विदेशी महिला को एक लाइलाज बीमारी हो गई थी जिसका उपचार किसी भी डॉक्टर के पास नहीं मिल रहा था. इसके बाद वो महिला एक स्वामी के पास गई जहां पर उसका इलाज किया गया और जुदा अंदाज में स्वामी ने उसकी लाइलाज बीमारी को ठीक कर दिया.
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यह बहुत पुरानी कहानी है जिसका जिक्र कई सालों पहले हुआ था. सैनफ्रांसिस्को में थे तब एनी नाम की महिला उनके पास आई और ह्दय - विदरक क्रंदन करती हुई बोली, प्रभु मैं बहुत दुखी हूं। मेरा बच्चा जानलेवा बीमारी से चल बसा है। कृपया उसको वापस ला दो।' स्वामीजी ने कहा, ' माता मैं तुम्हारा बच्चा वापस ला दूंगा। साथ ही दुख दूर करने के लिए आनंद का मंत्र भी दूंगा, लेकिन तुम्हे उसकी कीमत चुकानी होगी?' आवेश में आकर महिला बोली, ' स्वामीजी बच्चे को पाने के लिए जो भी कीमत होगी वह चुकाने के लिए मैं तैयार हूं। मेरे पास धन-दौलत की कमी नहीं है। आप जितना चाहेंगे मैं आपको दूंगी।' स्वामीजी ने कहा कि, ' राम के परमानंद साम्राज्य में धन - दौलत की कोई कीमत नहीं है। राम इससे भी बड़ी कीमत चाहता है।'
बताया जाता है कि, स्वामीजी के शब्दों में विश्व के समस्त उपेक्षितों, मातृहीनों और भूखों को अपने अपने में समेट लेने वाला स्नेह बरस रहा था। पराए दुख-दर्द को अपनाकर उसमें अपना सुख पाने का आनंद एनी के हाथ लग गया था। आनंद के इन क्षणों में एनी के गोरेपन का अभिमान गल गया। उच्चता के अभिमान की दीवार ढह गई। उस धूल-धूसरित बच्चे को एनी ने उठाकर अपनी छाती से लगा लिया। उसके दुख के बादल छंट गए और सुख के सुरज ने उसके जीवन में उजाला कर दिया था।
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