New Delhi: ग्लोबल टेररिस्ट हाफिज सईद का साला और जमात-उद-दावा व लश्कर ए-तैयबा का दूसरा सबसे बड़ा आतंकी अब्दुल रहमान मक्की ने मुल्तान में सिख धर्म गुरु नानक देव के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया है।
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आतंकी मक्की ने गुरु नानक देव को इस्लाम के खिलाफ षड़यंत्रकारी बताया है। गुरु नानक देव के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने के बाद पाकिस्तान में रह रहे खालिस्तान आंदोलनकारियों की आखें खुलनी चाहिए, जो भारत के खिलाफ षड़यंत्र रच रहे हैं। मक्की ने सिख धर्म की आस्था को चोट पहुंचाने के साथ-साथ सिखों को 'काफिर' करार दिया है।
मुल्तान में लशकर और जमात-उद-दावा के समर्थकों को संबोधित करते हुए मक्की ने कहा, 'इस्लाम को बदनाम करने की गंदा षड्यंत्र सदियों से जारी है। सिखों के पहले गुरु गुरु नानक का उद्भव साजिश का हिस्सा थे और वह (गुरु नानक) इस्लाम को बदनाम करने में भी उतने ही दोषी है।' मक्की ने सिख, उनकी आस्था और विचारधारा के खिलाफ खराब शब्दों का प्रयोग करते हुए इस्लाम के खिलाफ षड़यंत्रकारी बताया।
अमेरिका ने मक्की की हत्या के लिए 2 मिलियन डॉलर का इनाम रखा है। अपने नफरती भाषण में मक्की ने कहा कि 350 साल पहले मुसलमानों को कमजोर करने के हिंदू धर्म को गले लगाने को मजबूर करने लिए इस्लाम के खिलाफ सबसे बुरी साजिश रची थी। मक्की ने कहा कि यह गुरु नानक का षड़यंत्र था।
मक्की ने कहा कि बाबा नानक ने पंजाब से पेशावर तक सिख धर्म को बढ़ावा दिया था। मुस्लिमों को यह समझाने के लिए प्रयास किए गए थे कि सिख धर्म 'दाढ़ी' (भगवान की एकता) में विश्वास रखता है, दाढ़ी (मुस्लिमों की तरह) रखता है। आतंकी मक्की ने आगे कहा कि सिख काफिर, धाखेबाज, और पूरी तरह से गैर-इस्लामिक होते हैं।
गुरु नानक पहले सिख गुरु थे, जिनका जन्म 1469 में लाहौर शहर के निकट राई भोई की तालवंडी में हुआ था। इस जगह को अब नानकाना साहिब के नाम से जानते हैं। गुरु नानक सिख धर्म की स्थापना की थी। 1947 में आजादी बंटवारे के बाद ज्यादातर सिख भारत में ही रहे और जो पाकिस्तान जाकर बसे या हिंदुस्तान नहीं लौटे, वे इस्लामिक कट्टरवाद का शिकार हो रहे हैं।
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