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जाने क्यों मियांदाद से ज्यादा खास था कार्तिक का आखिरी बॉल पर लगाया गया छक्का

New Delhi : निदाहास ट्रॉफी के फाइनल मैच में दिनेश कार्तिक की करिश्माई बल्लेबाजी ने क्रिकेट की दुनिया में धूम मचा दी। 8 गेंदो पर 29 रनों की तुफानी पारी खेल कार्तिक ने टीम इंडिया को चैंपियन बना दिया।

कोलंबो के आर. प्रेमदासा स्टेडियम में कार्तिक के बल्ले से 8 गेंदों में 29 रनों की बारिश ने बांग्लादेश की जीत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। आखिरी गेंद पर छक्का जड़कर कार्तिक ने टीम इंडिया को निदहास ट्रॉफी के फाइनल में जीत दिला दी।

क्रिकेट इतिहास में महज दूसरा मौका है, जब किसी टीम ने आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर किसी टूर्नामेंट का फाइनल को जीता हो। इससे पहले 32 साल पहले 1986 में जावेद मियांदाद ने शारजाह में भारत के खिलाफ यह कारनामा किया था। और अब कार्तिक ने 32 साल बाद मियांदाद की तरह ही आखिरी बॉल पर छक्का लगाकर अपनी टीम को चैंपियन बना दिया। लेकिन यहां आपको बता दे कि मियांदाद के 32 साल पहले लगाए गए आखिरी बॉल पर छक्के से ज्यादा कार्तिक का आखिरी बॉल पर लगाया गया छक्का खास है।

दरअसल मियांदाद ने जब आखिरी बॉल पर छक्का लगाकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी तब पाकिस्तान को जीत के लिए आखिरी बॉल पर 4 रनों की जरूरत थी। ऐसे में मियांदाद के पास दो विकल्प थे। वह आखिरी गेंद पर छक्के की जगह चौका लगाते तो भी उनकी टीम वह मैच जीत सकती थी। लेकिन उन्होने चेतन शर्मा की गेंद पर छक्का जड़कर ऑस्ट्रेलेशिया कप में अपनी टीम चैंपियन बनाया था।

जबकि टीम इंडिया को निदाहास ट्रॉफी के फाइनल की आखिरी गेंद पर जीत के लिए 5 रन बनाने की चुनौती थी। ऐसे में दिनेश कार्तिक कार्तिक के पास केवल छक्का लगाना ही एकमात्र उपाय था। क्योकि चौका लगने पर मैच सुपर ओवर में चला जाता और फिर वहां से कोई भी टीम मैच जीत सकती थी। हालांकि कार्तिक ने सौम्य सरकार की गेंद पर एक्स्ट्रा कवर में शानदार छक्का लगाकर टीम इंडिया को चैंपियन बना दिया।

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