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विजया एकादशी: ये है व्रत विधि, जो देगी शुभ फलों में वृद्धि और जबरदस्त लाभ

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New Delhi: रविवार दिनांक 11.02.18 फाल्गुन कृष्ण ग्यारस पर विजया एकादशी पर्व मनाया जाएगा। यह एकादशी अपने नाम के अनुरूप ही फल देती है। यह एकादशी विजय की प्राप्ति को सशक्त करती है। इस एकादशी के बारे में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर को इसका महात्म व पौराणिक महत्व बताया समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं। 

कालांतर में ब्रह्मदेव ने देवर्षि नारद को श्रीराम की राम की कथा सुनते हुए कहा की यह एकादशी समस्त मनुष्यों को विजय प्रदान करती है। इसी क्रम लंका जाने हेतु समुद्र पार करना ज़रूरी था। इसी कारण श्रीराम वकदालभ्य ऋषि के पास गए। वकदालभ्य ऋषि ने श्रीराम को फाल्गुन कृष्ण एकादशी के व्रत का संकल्प दिलाया। जिसके कारण उन्होंने समुद्र पार कर रावण को हराकर लंका पर विजय प्राप्त की। 

इस दिन भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम स्वरूप के पूजन का विधान है। इस दिन श्रीहरि का संपूर्ण वस्तुओं से पूजन, नैवेद्य व आरती कर प्रसाद वितरण करके व ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इस एकादशी का पालन करने से व्यक्ति के शुभ फलों में वृद्धि होती है तथा अशुभता का नाश होता है। विजया एकादशी व्रत करने से साधक व्रत से संबन्धित मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है। 

विशेष पूजन विधि

भगवान नारायण का विधिवत पूजन करें। केसर मिले घी से दीप करें, गुलाब की अगरबत्ती करें, कुंकुम चढ़ाएं, लाल फूल चढ़ाएं, सेब की खीर का भोग लगाएं। एक दिन पूर्व तोड़े तुलसी पत्र पर शहद लगाकर समर्पित करें तथा इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद सेब की खीर किसी सुहागन को दान दें।

इस व्रत में वैसे तो दशमी तिथि को मिट्टी, पीतल, तांबे अथवा किसी भी धातु के कलश की स्थापना की जाती है परंतु यदि किसी कारणवश ऐसा सम्भव न हो तो व्रत करने के लिए स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भी पहले जल से भरे कलश की स्थापना की जा सकती है। कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज (सतनाजा) रखकर कलश के ऊपर जौं रखें तथा धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प एवं फलों सहित भगवान विष्णु जी का पूजन करें। सारा दिन उपवास रखकर फलाहार करें। 

अगले दिन यानि 12 फरवरी को उस कलश पर दक्षिणा रखकर किसी ब्राह्मण को वह कलश भेंट कर देना चाहिए। जिस कामना से कोई यह व्रत करता है उसे उस कार्य में पूर्ण रुप में सफलता अवश्य प्राप्त होती है। व्रत में रात्रि जागरण करते हुए अपना समय प्रभु नाम संकीर्तन में बिताने से प्रभु अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। यह व्रत रविवार को है इसलिए सूर्यदेव को प्रात: जल चढ़ाना अति उत्तम कर्म है तथा व्रत के पारण समय में सोमवार को सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए।

पूजन मुहूर्त: 
दिन 11:40 से दिन 12:40 तक।

पूजन मंत्र: 
ॐ पुराण-पुरुषोत्तमाय नमः॥

उपाय

  • अशुभता के नाश हेतु श्रीहरि पर चढ़ी शहद गाय को खिलाएं।
  • सभी कामनाओं की पूर्ति हेतु विष्णु मंदिर में 7 अंजीर चढ़ाएं। 
  • हर काम में विजय हेतु श्रीहरि के निमित केसर मिले घी के 11 दीपक करें।

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