New Delhi: ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को श्री गंगानगर, राजस्थान में हुआ था। जगजीत सिंह के गजलों ने कितने ही लोगों के दिल को सुकून दिया है।
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'होश वालों को खबर क्या' जैसी गजलों ने जाने कितने ही दिलों को एक किया है। जगजीत सिंह की मखमली आवाज़ रूह तक उतर जाती है। जीवन के हर पड़ाव और सवालात जैसे जगजीत सिंह की ग़ज़लों में रचे बसे हैं।
बता दें कि जगजीत सिंह का जन्म एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। जहां जीवन गुजारने के लिए पैसों की जरुरत पूरी करनी वाली नौकरी को एहमियत दी जाती है। लेकिन जगजीत सिंह की रुचि थी गायकी में थी। कॉलेज के दिनों में जगजीत सुबह 5 बजे रियाज शुरू कर देते थे। 2 घंटे हर रोज रियाज करते थे। लेकिन गायकी में शुरू में उन्हें खास लोकप्रियता नहीं मिलीं। जब वे चित्रा से पहली बार मिले थे, तब चित्रा सिंह उन्हें पसंद नहीं करती थीं। लेकिन धीरे धीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गई।
चित्रा सिंह की पहली शादी हुई थी ब्रिटानिया बिस्किट में बड़े अधिकारी देबू प्रसाद दत्ता से। जिनकी एक बेटी भी है जिसका नाम मोना है। चित्रा जहां मुंबई में रहती थीं, उनके सामने एक गुजराती परिवार रहता था। जहां जगजीत अक्सर गानों की रिकॉर्डिंग करते थे।जगजीत के जाने के बाद चित्रा ने पड़ोसी से पूछा क्या मामला है। पड़ोसी ने जगजीत की जमकर तारीफ की और जब उन्हें उनकी रेकॉर्डिंग सुनाई तो चित्रा ने पूछा, सरदार है क्या? जवाब मिला, हां, लेकिन दाढ़ी कटवा दी है। कुछ देर बाद चित्रा ने जगजीत की गायकी सुनकर कहा, 'छी। ये भी कोई सिंगर है।
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एक दिन चित्रा के घर शोकेस रेकॉर्डिंग थी जिसके लिए महिंदरजीत सिंह ने स्टूडियो बुक किया था। जहां पर चित्रा सिंगर भी थीं और होस्ट भी तभी दरवाजे की घंटी बजी। जब दरवाजा खोला तो सिंह साहब की ने उस इंसान को अंदर आने के लिए बोल दिया। कुछ देर बाद ही रिकॉर्डिंग शुरु कर दी गई तभी सिंह साहब ने कहा कि पहले जगजीत सिंह सिंगल गाएंगे फिर चित्रा के साथ डुएट होगा।
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चित्रा अब तक आवाज पहचान गई थीं की वो वहीं सफेद पैंट वाला शख्स है। वो बोलीं, 'मैं नहीं गाऊंगी। मेरी पतली और हाई पिच वाली आवाज है। जबकि इसकी भारी बास साउंड।' जगजीत ने नजर उठाकर देखा और बोले, आपको गाने की जरूरत ही क्यों है। जगजीत ने अकेले ही रेकॉर्ड किया।
तभी साल 1967 में जगजीत सिंह और चित्रा दोनों एक ही स्टूडियों में रिकॉर्डिंग कर रहे थे। दोनों के बीच बात शुरु हुई। चित्रा ने एक दिन जगजीत सिंह को चाय पर बुलाया था। इसी दौरान जगजीत एक गजल गाते हैं और चित्रा इसे किचन से सुन लेती हैं। जब चित्रा ने उनसे पूछा कि किसकी है, जगजीत ने कहा, 'मेरी है'। इसके बाद चित्रा पहली बार जगजीत से इम्प्रेस हुईं।
इसके बाद जगजीत और चित्रा अक्सर मिलने लगे और एक दूसरे को पसंद करने लगे। वहीं दूसरी ओर चित्रा की देबू से दूरियां बढ़ती गईं। देबू किसी और को पसंद करने लगे थे। इसके बाद चित्रा और देबू ने राजमंदी से तलाक ले लिया। 1970 में चित्रा के पति देबू ने दूसरी शादी कर ली थी। उन्हें एक बेटी भी हो गई थी। जगजीत देबू के पास गए और कहा, मैं चित्रा से शादी करना चाहता हूं। जब इजाजत मिली तो शादी की घड़ी आई। इस शादी का खर्च महज 30 रुपये आया था। तबला प्लेयर हरीश ने पुजारी का इंतजाम किया था और गजल सिंगर भूपिंदर सिंह दो माला और मिठाई लाए थे।
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