New Delhi: दहेज और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध राज्य में चल रही लहर का परिणाम मंगलवार को एक घटना के रूप में तब सामने आया, जब एक नाबालिग बच्ची अपनी शादी रुकवाने अपनी 30 सहेलियों के साथ थाने पहुंच गई।
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वह कक्षा आठ की छात्रा है। माता-पिता ने उसकी शादी तय कर दी। स्कूल रिकार्ड में उसकी उम्र महज 15 साल है। वह शादी नहीं करना चाहती थी, पर घर-परिवार के आगे एक न चली। गया जिले के बाराचट्टी प्रखंड में 15 साल की बच्ची पिंकी की शादी मां-बाप ने तय कर दी थी। धूमधाम से उसकी शादी की तैयारी चल रही थी। 18 फरवरी को उसकी शादी मोहनपुर प्रखंड के मुसैला गांव के दीनानाथ प्रसाद के पुत्र कमलेश कुमार से होने वाली थी।
सहेलियों के साथ पहुंच गई थाने
उसने अपनी शादी की चर्चा सहेलियों से की तो उन्होंने साफ मना कर दिया। उन्होंने सुना था कि बाल विवाह जुर्म है। उन्होंने पिंकी की जबरन शादी रोकने की योजना बनाई। वे उसे लेकर थाने पहुंच गईं। थानाध्यक्ष से कहा कि नाबालिग की शादी हो रही है, इसे रोकें।
थानाध्यक्ष पर बरस पड़ी दादी
बाराचट्टी के थानाध्यक्ष चेतनानंद झा लड़की के घर पहुंचे तो उसकी दादी मिल गई। जैसे ही इस संबंध में बात शुरू की, वे बरस पड़ीं। यहां लड़कियों ने ही दादी का मुंह बंद कराया। उनके एक-एक सवाल पर अपने तर्कों से उन्हें शांत कर दिया।
गांव में लगी पंचायत
दादी ने किनारा पकड़ लिया तो थानाध्यक्ष ने प्रबुद्ध लोगों को बुलाया। पंचायत लगी। मुखिया कुमारी माधुरी, सरपंच भावना कुमारी, जीविका की अध्यक्ष तेतरी देवी, रानी कुमारी आदि ने परिवार को समझाया। नाबालिग के माता-पिता ने इस पर हामी भरी कि 18 साल होने के बाद ही शादी करेंगे।
महंगाई के कारण कर रहे थे शादी
नाबालिग के पिता ने कहा कि चार बेटियां हैं, महंगाई बढ़ गई है। इसलिए शादी कर रहे थे। लोगों ने इसी बैठक में कहा कि पूरे बिहार में दहेज और बाल विवाह के विरुद्ध अभियान चल रहा है। बच्ची की जिंदगी से क्यों खेल रहे हो।
मुखिया ने किया सम्मानित
बारा की मुखिया माधुरी कुमारी ने इस पहल पर सभी 30 बच्चियों को सौ-सौ रुपये देकर सम्मानित किया। उन्हें प्रखंड स्तर पर भी सम्मानित किया जाएगा। थानाध्यक्ष ने कहा कि इन सभी को पुलिस विभाग की ओर से राज्य स्तर पर सम्मानित करने की अनुशंसा कर रहा हूं। इस संबंध में एसएसपी से आग्रह करेंगे।
मानव श्रृंखला से मिली प्रेरणा
छात्राओं ने बताया कि सरकार द्वारा दहेज और बाल विवाह के विरुद्ध बनाई गई मानव शृंखला अभियान ने प्रेरणा दी। वे लोग भी मानव श्रृंखला में शरीक हुई थीं।
नहीं उठाया किसी ने फोन
लड़कियों ने बताया कि अखबार से ही जानकारी मिली थी कि बाल विवाह और दहेज के संबंध में क्या-क्या कानून है, कहां जाएं। इसलिए थाने गए। टॉल फ्री नंबर के बारे में भी जानकारी थी, लेकिन कॉल करने पर किसी ने फोन नहीं उठाया। इसके बाद थाने गए, जहां से थानाध्यक्ष साथ गए और पूरे दिन साथ रहे। बहरहाल, इस प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि बाल विवाह और दहेज के विरोध में चल रहे अभियान का सुदूर इलाकों तक असर होने लगा है।
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