New Delhi: छत्तीसगढ़ के कुछ जिले ऐसे हैं जहां नक्सलियों की मौजूदगी हर दम रहती है।
वहां आए दिन छोटी-बड़ी वारदात को अंजाम दिया जाता है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में जब सड़क निर्माण का काम किया जाता है, तो नक्सली निर्माण कर्मचारियों को अपना निशाना बनाते हैं। ऐसे में बस्तर जिले में तैनात छत्तीसगढ़ पुलिस की महिला कमांडो को अब सड़क निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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अपनी ड्यूटी संभालने के बाद अब ये महिला कमांडो प्रमुख सड़कों पर आठ से दस घंटे तक सड़क निर्माण में मदद कर रही हैं। खास बात यह है कि इन महिला कमांडो को घोर नक्सल प्रभावित सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में तैनात किया गया है। यही नहीं, इन महिला जवानों ने एक दर्जन से ज्यादा महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण में सुरक्षा का जिम्मा उठा भी लिया है।
पुलिस के आला अधिकारियों ने बताया कि इन महिला जवानों को कांकेर के जंगल वारफेयर कालेज में विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। यही नहीं, पहले चरण में 90 महिला जवानों को नार्थइस्ट के पुलिस कैंप में भेजकर जंगल में लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। बस्तर पुलिस से जुड़े सूत्रों की मानें तो महिला पुलिस जवानों को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक सड़क निर्माण साइट पर तैनात किया जाता है। ये जवान दोपहर में सिर्फ लंच के समय ही आधे घंटे के लिए मोर्चे से हटती हैं, लेकिन उनकी जगह नए जवानों को तैनात कर दिया जाता है।
पुलिस मुख्यालय के आला अफसरों ने बताया कि महिला जवान रोड ओपनिंग के दौरान नक्सलियों के मूवमेंट की जानकारी मिलते ही पुरुष जवानों के साथ जंगलों में भी उतर रही हैं। कई बार तो महिला जवान पूरे दिन जंगलों की खाक छानती हैं और देर शाम को कैंप लौटती हैं। सूत्रों की मानें तो जंगलवार की विशेष तकनीक से लैस महिला कमांडों ने कई छोटे आपरेशन को भी अंजाम दे सड़क उड़ाने के नक्सलियों के मंसूबे को विफल भी किया है।
नक्सल ऑपरेशन के स्पेशल डीजी डीएसएम अवस्थी के मुताबिक, सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती सड़कों को बनाने की है। इसको देखते हुए प्रशिक्षित महिला कमांडों को अब रोड ओपनिंग में लगाया जा रहा है। बस्तर के सभी जिलों में जरूरत के अनुसार महिला कमांडों की प्रमुख सड़कों पर तैनाती की जा रही है। अभी सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में मुस्तैदी से सड़क निर्माण में सुरक्षा प्रदान की जा रही है।
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