New Delhi
योगी सरकार संस्कृति विभाग से दिये जाने वाले पुरस्कारों की समीक्षा करने जा रही है। इसको लेकर अगले हफ्ते बैठक हो सकती है। इस बैठक में इन पुरस्कारों की आगे की दिशा तय की जाएगी। अभी हाल ही में यश भारती सम्मान देने में धांधली का खुलासा हुआ है। योगी सरकार पुरस्कार विजेताओं को पेंशन देने के मूड में नहीं दिख रही है।
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पिछली सरकार में यश भारती को संस्कृति विभाग के सबसे अहम पुरस्कार के रूप में रखा गया था। हालांकि इसमें चयन की अर्हता शुरू से विवादों के घेरे में रही है। बहुत से काबिल लोगों को यह पुरस्कार मिला है, वहीं कई नाम ऐसे भी इस सूची में शुमार है जिनकी इकलौती योग्यता सत्ता के खास लोगों की सिफारिश ही रही। पुरस्कारों की संख्या बिना मानक के इस तरह बढ़ाई गई की विभाग के बजट तक पर संकट खड़ा हो गया। दो लोगों को पुरस्कार देने के लिए 11-11 लाख रुपये भारतेंदु नाट्य अकादमी और संगीत नाटक अकादमी से कर्ज तक लेने पड़े थे।
विभागीय मंत्री का कहना है कि पुरस्कार खत्म करने पर अभी फैसला नहीं हुआ है लेकिन इसकी समीक्षा जरूर होगी। फिलहाल हर महीने दी जाने वाली 50 हजार रुपये की पेंशन रोकी जा चुकी है।
सूत्रों की मानें तो पहले किसानों की कर्ज माफी और सातवें वेतन आयोग के खर्चे के दबाव में दिख रही सरकार पेंशन जारी रखने की पक्षधर नहीं है। अगले सप्ताह इस दिशा में कोई नीति बनने के आसार है।
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