NEW DELHI:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले तीन सालों में प्रगति समीक्षा मीटिंग की बदौलत 21 मीटिंग की, जिसके तहत 183 प्रॉजेक्ट में आ रही बाधाओं को दूर किया गया। इससे लगभग 9 लाख करोड़ के निवेश की गाड़ी आगे बढ़ी। पीएमओ की ओर से जारी आंकड़ों से यह बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन साल पहले सत्ता में आने के बाद प्रगति समीक्षा मीटिंग के माध्यम से केंद्र और राज्य में सालों पुराने लंबित प्रॉजेक्ट्स को पटरी पर लाने में सफलता पाई। इसमें पिछले 42 साल पुराने रेल प्रॉजेक्ट को भी शुरू किया गया।
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प्रगति समीक्षा मीटिंग में सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी के अलावा केंद्र सरकार के सीनियर अधिकारी मिलते हैं और इसका मूल उद्देश्य चल रहे विकास कार्यों का समीक्षाा करना होता है। सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि पीएम का साफ निर्देश है कि 2019 तक इनमें से अधिकतर प्रॉजेक्ट का असर जमीन पर दिखना चाहिए।
बुधवार को इसकी 21 वीं मीटिंग हुई, इसमें लगभग 60 हजार करोड़ के प्रॉजेक्ट की समीक्षा की गई। समीक्षा किए जाने वाले प्रॉजेक्ट्स में गोरखपुर में बनने वाला एम्स भी शामिल है। मीटिंग में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, पंजाब, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना और केरल सहित डेढ़ दर्जन राज्यों के रेलवे, सड़क, विद्युत और तेल पाइपलाइन तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में 56 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा लागत के 9 बड़े प्रॉजेक्ट की समीक्षा हुई।
पीएम मोदी ने कहा कि उनके लिए प्रॉजेक्ट पूरा करने में तीन चीजें सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। पहली यह कि उसे पूरा करने के लिए जो डेडलाइन तय किए गए हैं, उसे हर हाल में उसके अंदर ही पूरा होने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी को डिटेल स्पष्टीकरण पेश करना चाहिए कि किन कारणों से देर हुई। साथ ही करप्शन पर रोक लगाने के लिए हर आने वाली शिकायतों की समीक्षा करने को कहा गया। साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि प्रॉजेक्ट के लिहाज से ही टीम चुनी जाएं तो उसके अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
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