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New Delhi: दुनिया में आज भी कई रहस्यमयी कहानियों की चर्चा होती है। इसी में एक है केरल राज्य के तिरुवनन्तपुरम में स्थापित मंदिर की कहानी। इसे पद्मनाभस्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को पूर्णरूप से समर्पित किया गया है।
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भगवान विष्णु की प्रतिमा इस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की गई है। भगवान विष्णु शेषनाग के ऊपर शयन अवस्था में विराजमान है। इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर से जुड़े अनेक रहस्य है। यह दुनिया का सबसे धनी मंदिर भी माना जाता है। इस मंदिर की कुल संपत्ति लगभग 1,32,000 करोड़ है।
त्रावणकोर में 1947 तक राजाओं का शासन काल चलता था। भारत आज़ाद होने के बाद इसको भारत में मिलाया गया था। विलय के पश्चात भी भारत सरकार द्वारा इस धनी मंदिर पर अधिकार नहीं जमाया गया था। इस मंदिर की संपत्ति को देखते हुए और रहस्य को सुनकर इस मंदिर के दरवाज़े खोलने की मांग जनता द्वारा की जाने लगी। जनता की मांग को सुनकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 सदस्यों की देखरेख में 6 द्वार खोल दिए गए। इन 6 द्वार के अंदर से लगभग 1,32,000 करोड़ के सोने के जेवर और संपत्ति निकली है।
इस मंदिर की सबसे रहस्यमय चीज यहां का सातवा दरवाजा है, जिसको खोलने और ना खोलने पर विचार-विमर्श हो रहा है।मान्यताओं के अनुसार इसके खुलने पर प्रलय आने की बात कही जाती है। इस सातवें द्वार पर किसी तरह की कुंडी या नट वोल्ट नहीं लगा है। इस दरवाजे पर सिर्फ दो सर्पों का प्रतिबिंब बना हुआ है, जिसको इस द्वार का रक्षक बताया जाता है। यही दोनों सर्प इस द्वारा पर पहरा देते हैं और रक्षा करते हैं।
इस द्वार की विशेषता यह है कि यह द्वार सिर्फ मंत्रोच्चारण से खुल सकता है। उसके अलावा इसको खोलने का और कोई रास्ता नहीं है। इस द्वार को खोलने के लिए ‘गरुड़ मंत्र’ का प्रयोग स्पष्ट व साफ शब्दों में किसी सिद्ध पुरूष के माध्यम से कराना होगा। मंत्रोच्चारण साफ और स्पष्ट न होने पर उस पुरुष की मृत्यु भी हो सकती है। त्रावणकोर राजपरिवार के मुखिया तिरुनल मार्तंड वर्मा जो 90 वर्ष के है।
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