NEW DELHI:
डोकलाम में गतिरोध का समाधान होने के अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा की तारीख का ऐलान कर दिया गया। मोदी 3 से 5 सितंबर के बीच ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने वहां जाएंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने की बातचीत तेज करने की पहल की जा सकती है। इसके साथ ही पाकिस्तान मोदी के इस दौरे से डर गया है। उसको डर है कि कहीं मोदी जिनपिंग को अपना दोस्ता न बना लें।
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यहां विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री के यात्रा कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा है कि चीन के राष्ट्रपति के न्योते पर मोदी फूजियान प्रांत के चियामेन जाएंगे। चीन ने उम्मीद जताई है कि चियामेन में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साउथ अफ्रीका) सम्मेलन की सफलता के लिए सभी देश अपनी भूमिका निभाएंगे। कुछ जानकारों का मानना था कि ब्रिक्स सम्मेलन से पहले डोकलाम विवाद को सुलझाने के लिए दबाव में था। जुलाई में जर्मनी के हैम्बर्ग में जी-20 सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स देशों के नेताओं की अलग से अनौपचारिक बैठक हुई थी, जिसमें सम्मेलन की तैयारियों और प्राथमिकताओं पर बातचीत की गई थी।
इस बैठक में मोदी और चीन के राष्ट्रपति ने एक-दूसरे की जमकर तारीफ की थी। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि वह चियामेन में ब्रिक्स देशों के नेताओं का स्वागत करने का इंतजार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने चीन के राष्ट्रपति की चेयरमैनशिप में ब्रिक्स के काम करने की गति की तारीफ की और सहयोग का वादा किया। मोदी की टिप्पणी के तुरंत बाद चीन के राष्ट्रपति ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत संकल्प की तारीफ की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की चेयरमैनशिप में 2016 में हुए गोवा सम्मेलन के बाद ब्रिक्स ने अच्छी गति पकड़ी। उन्होंने भारत के सामाजिक विकास और आर्थिक तरक्की की तारीफ की और कहा कि भारत को इससे भी ज्यादा सफलता मिले।
इस अनौपचारिक बैठक के बाद शी जिनपिंग की मुलाकात की तस्वीर भी विदेश मंत्रालय ने ट्वीट की थी, जिसमें दोनों मुस्कुराते दिख रहे थे। यह बताया गया था कि दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई। सूत्रों के मुताबिक डोकलाम का हल बातचीत के जरिये निकालने की ठोस शुरुआत तभी कर दी गई थी। दोनों ओर से दुआ सलाम के तुरंत बाद मोदी ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि इसका समाधान जल्द तलाशना होगा। इस पर चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देशों के अधिकारियों को बातचीत करनी चाहिए। इसके बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। बातचीत में दूसरे मुद्दों के मुकाबले फोकस डोकलाम में सैनिकों का आमना-सामना खत्म करने पर रहा।
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