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पहली बार यहां खींची गई 'Selfie', ये था इससे जुड़ा इतिहास

NEW DELHI: दुनिया भर में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों लोगों में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने सेल्फी का नाम ना सुना हो। पूरी दुनिया आज सेल्फी की गिरफ्त में है। आज ऐसा कोई शख्स नहीं जिसे सेल्फी से नफरत हो।

    पिछले कुछ सालों में सेल्फी का चलन खूब बढ़ा है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों में सेल्फी को लेकर दिवानगी काफी तेजी से बढ़ रही है। युवा वर्ग तो सेल्फी का इतना दिवाना हो गया है कि फोटो लेकर इसको तुरंत सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं। 

सेल्फी का मतलब

सेल्फी शब्द सेल्फ यानी स्वयं या आत्म से बना है। आजकल सेल्फी का मतलब है अपने हाथों से अपनी ही फोटो खींचना। फेसबुक और ट्विटर ने इसे नया आयाम दिया है। सन 2012 के अंत में साल के ‘टॉप 10 बज़वर्ड्स’ में टाइम मैगजीन ने सेल्फी को भी रखा था। इसके अगले साल नवम्बर 2013 में ऑक्सफर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने इसे ‘वर्ड ऑफ द इयर’ घोषित किया।

सेल्फी का इतिहास

दावा किया जाता है कि दुनिया की पहली सेल्फी अमेरिका के फोटोग्राफर रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने साल 1839 में ली थी। कॉर्नेलियस ने खुद अपने कैमरे से फोटो खींचने की कोशिश की थी।

कहा ये भी जाता है कि सन 1850 में दुनिया की पहली सेल्फी ली गई थी। इस सेल्फी को स्वीडिश आर्ट फोटोग्राफर ऑस्कर गुस्तेव रेजलेंडर ने लिया था।

किसी अखबार में पहली बार सेल्फी शब्द का इस्तेमाल 13 सितंबर 2002 में किया गया था। ऑस्ट्रेलिया की एक वेबसाइट ने पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल किया था।

... जब भारी पड़ा सेल्फी का शौक

कई लोगों के जीवन में ऐसा भी समय आया कि जब उन्हें सेल्फी का शौक भारी पड़ा हो। सेल्फी के चक्कर में तो कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी।

- रूस की 17 वर्षीय जीनिया सेल्फी लेने के लिए 28 फीट ऊंचे पुल पर लटक गईं। लेकिन तभी जीनिया का बैलेंस बिगड़ा और वह बिजली की तार पर जा गिरीं और करंट की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई।

- 18 साल की रोमानी लड़की अना युरसू अपनी दोस्त के साथ ट्रेन की छत पर सेल्फी ले रही थीं। तभी वहां मौजूद बिजली की तारों की चपेट में आने पर अना का शरीर आग की लपटों में लिपट गया और अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

- ऑस्कर ओटेरो एगुइलर नाम के एक युवा ने अपने फेसबुक प्रोफाइल के लिए एक खास सेल्फी लेनी चाही जिसके चलते उन्होंने एक गन अपने सिर की ओर तानी और अचानक सेल्फी लेते हुए उनसे गन का ट्रिगर तब गया और गोली लगने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

आज सेल्फी एक बीमारी बनती जा रही है

 आज युवाओं में सेल्फी से जुड़ी बीमारी देखी जा रही है। एेसे काफी संख्या में युवा अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। शहरों में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। बॉडी इमेज को बेहतर दिखाने की यह लत ज्यादातर लड़कियों में देखी जा रही है। इस लत को अभी तक लोग बीमारी के रूप में नहीं देख रहे हैं। इंटरनेशनल स्टडी के अनुसार 60 पर्सेंट महिलाएं इससे अनजान होती हैं।

सेल्फीसाइटिस एक ऐसी कंडीशन होती है, जब इंसान अगर कोई सेल्फी नहीं ले या उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करे तो उसे बेचैनी होने लगती है। इसे ऑब्सेसिव कंप्लसिव डिसऑर्डर कहा जाता है। नहीं चाहते हुए भी लोग सेल्फी से खुद को रोक नहीं पाते हैं। जरूरत से ज्यादा सेल्फी लेने की चाहत बॉडी में डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर नाम की बीमारी को भी जन्म देती है।

इस बीमारी से लोगों को लगने लगता है कि वे अच्छे नहीं दिखते हैं। माना जाता है कि सेल्फी के दौर ने कॉस्मेटिक सर्जरी कराने वालों की संख्या बढ़ा दी है। जब एक इंसान को अपने रोज के काम में कोई एक आदत बाधा डालने लगे तो समझ में आता है कि वह ऑब्सेसिव कंप्लसिव डिसऑर्डर का शिकार है। पढ़ने वाले को पढ़ाई में मन नहीं लगे, काम वाले को काम में मन नहीं लगे, तो यह बीमारी की शुरुआत है। अगर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह बढ़ती जाती है।

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