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New Delhi: इतिहास गवाह है कि किसी भी लड़ाई को जीतने के लिए सेना के हथियारों के साथ-साथ सबसे बड़ी भूमिका तोपखानों की रहती है।
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आज के वक्त में जहां आसमान में लड़ाकू विमानों ने राज करते हैं, वहीं जमीन पर टैंकों का एकछत्र राज रहा है। आज किसी भी थल सेना को पहली नजर में उसकी मशीनी ताकत यानी आर्म्ड डिवीजन से आंका जाता है।
भारतीय सेना के पास ऐसे आधुनिक टैंक हैं, जिनका मुकाबला करना पाकिस्तान तो क्या चीन के बस में भी नहीं है। चीन के पास हल्के और कम दूरी वाले टैंक हैं, लेकिन भारत के पास मौजूद यदि इन पांच टैंकों को युद्ध में उतार दिया जाए तो ये दुनिया की बड़ी से बड़ी सेना के छक्के छुड़ा सकते हैं। आइये आपको बताते हैं, वो पांच टैंक जिनके नाम से चीन और पाकिस्तान खौफ खाते हैं।
अर्जुन टैंक : अत्याधुनिक उपकरणों से लैस इस टैंक से मिसाइल भी लांच की जा सकती है। यह टैंक बारूदी सुरंगों का पता लगाने, ऑटोमैटिक टारगेट ट्रैकिंग और एडवांस्ड लैंड नेविगेशन सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक से लैस है। अर्जुन में टी-72 के 250 गोलों के मुकाबले 500 गोले दागने वाले इक्विवेलेंट फायरिंग चार्ज के साथ बेहतर गन बैरल होगा। चीनी सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कुछ समय पहले इस टैंक की जमकर सराहना की थी।
भीष्म : 2004 में भारतीय सेना में शामिल किया गया टी-90 भीष्म टैंक में जबरदस्त हमले की क्षमता है। भीष्म में रात में देखने में काम आने वाले उपकरण तथा हर तरह के गोले दागने की सुविधाएं हैं। टी-72 टैंक के मुकाबले टी-90 टैंक काफी उन्नत है और यह चार किलोमीटर के दायरे में गोले दाग सकता है।
T-72 अजेय : रूस में बना टी-72 टैंक अजेय के अपग्रेड मॉडल का जून 2011 में परीक्षण किया गया था। इस युद्धक टैंक में स्वदेशी प्रणाली विकसित की गई है। वर्ष 1965 व 1971 के युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले इस मुख्य युद्धक टैंक टी-72 में डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने काफी बदलाव किए हैं। इस टैंक की शानदार क्षमता के कारण भारतीय वैज्ञानिकों ने यहीं पर बदलाव किए हैं। इसमें मुख्यत: स्वदेशी इंजन तैयार किया गया है। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने 1000 बीपीएच क्षमता का यह इंजन टी-72 टैंक में लगाया है। इसमें फोरमल इमेजिन फायर कंट्रोल भी लगाया गया है।
विजयंत : हेवी वेहिकल फैक्टरी (आवड़ी) में निर्मित विजयंत टैंक में गोलाबारी करने की अपार शक्ति के साथ-साथ चौतरफा घूम फिरकर मार करने की क्षमता।
इस टैंक में अमेरिका के एम. 60 तथा जर्मनी के लयर्ड टैंकों की तरह की 105 मिमी की गन के साथ-साथ मशीनगन तथा 12.7 एमएम की एंटी एयरक्रॉफ्ट गन भी लगी हुई है। फिलहाल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय का प्रतीक विजयंत टैंक अब संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहा है।
T-55 एमबीटी : 1971 में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान से अलग कर बांग्लादेश के निर्माण की दास्तान का प्रतीक रूस में निर्मित टी-55 टैंक फिलहाल इतिहास का हिस्सा बन गया है।
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