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Bhopal: पुरानी कहावत है कि जिस जगह मन ना लगे वह काम छोड़ देना चाहिए। कुछ ऐसी ही कहानी है Australia में रहने वाले एक भारतीय इंजीनियर की। 33 साल के मधुर मल्होत्रा पेशे से इंजीनियर हैं और Australia में नौकरी करते थे, लेकिन उनका काम में मन नहीं लगता था। हमेशा से कुछ अलग करने की चाह में मधुर अपनी 30 लाख की नौकरी छोड़कर भारत वापस लौट आए।
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2009 में भारत लौटे मधुर ने नौकरी छोड़ चाय की दुकान खोल ली। जहां उन्होंने अपना नया काम शुरू किया, वहां की कल्पना उन्होंने कभी नहीं की थी। उनका कहना है कि चाय सदाबहार पेय है, सर्दी और बारिश में चाय की चुस्कियों का मजा ही कुछ और होता है।
आईटी और कम्यूनिकेशन में Australia से ही मास्टर्स कर चुके मधुर की मां एक बार गंभीर रूप से बीमार हो गईं, जिसके बाद उन्हें मां की देखभाल करने के लिए तुरंत Australia से India आना पड़ा। वह बताते हैं कि मेरी मां की ओपन हार्ट सर्जरी होनी थी। वह 72 साल की हैं और मेरे पिता 78 साल के। India वापस लौटने के बाद मधुर ने फैमिली का कंस्ट्रक्शन बिजनेस शुरू किया, लेकिन पुराना काम होने की वजह से उन्हें मजा नहीं आ रहा था और वह इससे असंतुष्ट हो रहे थे।
एक बार वह अपनी दोस्त के साथ चाय पीने निकले। तब उन्होंने देखा कि चाय बनाने वाले के हाथ साफ नहीं है और वह उन्हीं खुले हाथों से दूध निकालकर चाय बना रहा था। इसके अलावा वहां चाय की दुकान पर अधिकतर लोग सिगरेट फूंकने वाले थे। इसके बाद मधुर ने सोचा कि क्यों न इससे बेहतर कोई चाय की दुकान खोली जाए। फिर क्या था मधुर और उनके दोस्त ने मिलकर एक छोटा-सा चाय का कैफे खोलने का प्लान बनाया जहां अच्छे माहौल में लोग अपनी फैमिली या दोस्त के साथ सिर्फ चाय पीने आएं।
उन्होंने चाय पर काफी रिसर्च की और पाया कि अगर कुल्हड़ में सामान्य चाय को बेहतर बनाकर बेचा जाए तो लोग आकर्षित हो सकते हैं। फिर क्या था उन्होंने कुल्हड़ वाली चाय को एक अलग अंदाज में पेश किया। साथ ही पाया कि कुल्हड़ पर्यावरण के लिहाज से भी अच्छा विकल्प है। धीरे-धीरे मधुर ने चाय की 22 कैटिगरी बना दीं। कैफे 'चाय-34' की 22 तरह के स्वाद की अलग-अलग खासियत वाली चाय वो भी कुल्हड़ में। Bhopal के शिवाजी नगर में चलने वाले चाय का ये कैफे मधुर की पहचान बन गई है।
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