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चंद मिनटों में बदल देता है लड़ाई का रुख बदल देते हैं भारतीय सेना के ये युद्धक टैंक

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  New Delhi : एक ओर जहां पाकिस्तान अपनी नापाक हरकत से बाज नहीं आ रहा, वहीं दूसरी ओर चीन भी लगातार भारत को धमका रहा है।  लेकिन भारतीय तोपखाने की सबसे बड़ी ताकत में शामिल है टी-90 एस भीष्म टैंक। शुरुआत में ये टैंक रूस से आयात किए जाते थे, लेकिन इनकी असेंबलिंग चेन्नई में शुरू होने के बाद अब ये टैंक भारतीय सेना के तोपखाने की शोभा बढ़ा रहे हैं।

जंग की स्थिति में चंद मिनटों के भीतर भीष्म टैंक मोर्चा संभाल लेता है। वैसे तो भारतीय सेना के सबसे मजबूत और बेजोड़ टैंकों में अर्जुन का नाम शामिल है, लेकिन भीष्म टैंक की फुर्ती इसे दु्श्मन के लिए बेहद घातक बना देती है। अर्जुन और भीष्म की जोड़ी अभी तक किसी भी जंग में एक साथ नहीं उतरी है, लेकिन अगर ये दोनों टैंक एक साथ रणभूमि में उतर जाए, तो दुश्मन को हथियार डालने पर मजबूर कर सकते हैं।

रूस में इस टैंक को टी-90 एस के नाम से जाना जाता है, लेकिन भारतीय सेना के बेड़े में 2004 में शामिल होने के बाद इसका नामकरण ‘भीष्म’ किया गया। भारत में असैंबल हुए इन टैंकों को कई अपग्रेडेड उपकरणों से लैस किया गया है, ताकि युद्ध में इस्तेमाल के दौरान इस ताकतवर टैंक को दुश्मनों के लिए और ज्यादा खतरनाक बनाया जा सके। 

सेना के एक आला अफसर ने बताया कि ये टैंक बहुत ही शानदार मारक क्षमता वाला और दुश्मनों के लिए खतरनाक है। इस टैंक की एक अलग रेजीमेंट अंबाला में मौजूद है। टैंक में अपग्रेडेड उपकरणों को लेकर जितनी खासियत हैं, उतना ही ये टैंक युद्ध भूमि में दुश्मनों के लिए खतरनाक भी है। इस टैंक का वजन 46.50 टन है। जबकि इसका इंजन 1000 ब्रीड हार्स पावर का है।

  

खास बात यह कि इसमें तीन क्रू यानी एक ड्राइवर, एक गनर और एक कमांडर सवार होंगे। दूसरी खास बात यह कि इस पर चार हथियार एपी, एचईएफ, एचआईटी व मिसाइल मौजूद हैं। पहले तीन हथियारों की मारक क्षमता डेढ़ से ढाई किलोमीटर तक होगी, जबकि मिसाइल की मारक क्षमता 5 किलोमीटर तक होगी। टारगेट को सर्च कर, उसे मार गिराने के लिए सिग्नल देने के लिए इसमें एक खास तरह का उपकरण भी लगा हुआ है।

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