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मंदिरों को लेकर हमारी आस्था और मान्यताएं बहुत ही गहरी होती हैं। आज हम आपको हनुमान जी के एक ऐसे ही अनूठे मंदिर के बारे में बताते हैं, जहां लोग अपनी मन्नत भगवान् के सामने नहीं कहते। बल्कि अपनी मन्नतें लिखते हैं।
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मान्यता है कि भगवान राम पृथ्वी पर अपना उद्देश्य पूरा करके वैकुण्ठ चले गये। लेकिन भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए और धर्म की रक्षा के लिए भगवान राम हनुमान जी को अमरता का वरदान देकर पृथ्वी पर रहने का आदेश दे गये। यही कारण है कि कलियुग में हनुमान जी सबसे प्रमुख देवता माने जाते हैं। जो व्यक्ति हनुमान जी की भक्ति और उपासना करता है हनुमान जी उनकी सब प्रकार से रक्षा करते हैं।
हनुमान जी के प्रति ऐसी आस्था के कारण ही मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी के दर्शनों के लिए मंदिर के बाहर लंबी कतार मिलती है। यही स्थिति रहती है बिहार के दरभंगा जिला में राज परिसर में स्थिति मनोकामना मंदिर में। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि यहां से मांगी गयी मुराद जरूर पूरी होती है। इसलिए इस मंदिर का नाम ही मनोकामना मंदिर पड़ गया है। लेकिन इस मंदिर में स्थित हनुमान जी से अपनी मनोकामना पूरी करवाने का तरीका अनूठा है।
कुछ मंदिरों में हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त हनुमान जी को लंगोटा चढ़ाते हैं तो कहीं सिंदूर अर्पित करते हैं। लेकिन दरभंगा के मनोकामना मंदिर में मनोकामना पूरी करवाने के लिए लोग घर से कलम या पेंसिल लेकर आते हैं। मंदिर के बाहर लड्डूओं के दुकान से प्रसाद खरीदते हैं और हनुमान जी को प्रसाद अर्पित करते हैं। इसके बाद मंदिर के चारों ओर घूमकर प्रदक्षिणा करते हैं। पूजा करने के बाद कलम अथवा पेंसिल से मंदिर की दीवारों पर अपनी मनोकामना लिखते हैं। इसलिए मंदिर की पूरी दीवार पर कुछ कुछ लिखा मन्नत लिखा हुआ दिखेगा। आस्था है कि जिसने भी यहां मन्नत लिखा वो खाली हाथ नहीं लौटा।
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