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New Delhi: कहते है गरीबी किसी भी सफलता की रूकावट नही होती है। वहीं एक तरफ लोग पैसों की तंगी और परिवारिक जिम्मेदारी का हवाला देकर अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते है। लेकिन कुछ ऐसे भी है जो अपने सपनों को पूरा करने के दिन रात एक कर देते है।
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भारत में लोवर व मिडिल क्लास फैमिली में अक्सर ऐसा देखा गया है कि परेशानी या आर्थिक तंगी की वजह से बच्चें बहुत कम समय में परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लेते हैं। इन जिम्मेदारीयों की वजह से इन्हीं बच्चों को स्कुल या घर छोड़कर बाहर रहना पड़ता है और बाद में उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है। लेकिन इन्ही में से कुछ लोग ऐसे भी होते है जो अपने सपनों को जिंदा रखते है साथ ही मेहनत और लगन से उन सपनों को पाने में कामयाब होते है। ऐसी ही कहानी नागपुर के श्रीकांत पंतवाने की है जिसने अपने सपनों को मरने नहीं दिया।
श्रीकांत के पिता ऑटो रिक्शा चलाते है। स्कूल के दिनों में श्रीकांत डिलीवरी बॉय का काम किया करता और बाद में ऑटो रिक्शा चलाने लगा। श्रीकांत अपने फैमिली की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधो पर ले ली साथ ही उसने अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा। एक दिन श्रीकांत कुछ सामान बांटने के लिए हवाई अड्डे पर गया था। जहां उसकी मुलाकात एक कैडेट से हुई थोड़ी बातचीत होने के बाद उसने अपने सपनों के बारे में बताया। कैडेट ने उस सारी जानकारी देते हुए बताया कि बिना इंडियन फोर्स में शामिल हुए भी आप पायलट बन सकते है। उसके बाद कैडेट ने Directorate General of Civil Aviation – DGCA के अवगत कराया।
DGCA के तहत 12 वीं के छात्रों को स्कॉलरशिप दी जाती है। इस खबर के बाद श्रीकांत की आंखे खुशी से चमक उठी और ठान लिया कि किसी भी हाल में परीक्षा को पास करना है। श्रीकांत ने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। बहुत जल्द श्रीकांत को मध्य प्रदेश फ्लाइंग स्कूल से कॉल आ गया। यहां आने के बाद भी श्रीकांत की मुश्किलें कम नहीं हुई बता दें कि यहां उसे भाषा समझने में काफी परेशानी आई। लेकिन श्रीकांत ने हार नहीं मानी और तगड़ी मेहनत की दिन रात पढ़ाई और दोस्तों की मदद से उसने इस मुसिबत को भी पार कर लिया।
वहीं मेहनत और लगन के बाद उसने पायलट की परीक्षा को पास कर लिया। साथ ही कर्मशियल पायलट की लाइसेंस भी मिल गई लेकिन इस बीच मंदी की वजह से उसे नौकरी मिलने में समस्या आने लगी। कुछ महीनों के इंतजार के बाद आखिरकार उसे मौका मिल ही गया। श्रीकांत अब इंडिगो कार्गो फ्लाइट में को-पायलट है।
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