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New Delhi: भारत को अपनी सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए नई-नई तकनीकों की जरूरत है। इसके लिए भारत ने पिछले कुछ सालों में फ्रांस से लेकर इस्राइल और अमेरिका तक से समझौते किए हैं।
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रूस तो रक्षा उपकरणों के मामले में भारत का पुराना सहयोगी है ही। भारत अंदरूनी और बाहरी कई चुनौतियों से एक साथ निपट रहा है। ड्रोन तकनीक आज भारत की जरूरत है और इसके लिए अमेरिका से समझौता हुआ है, जिसके तहत भारत को 22 सी गार्डियन ड्रोन अमेरिका से मिलने हैं।
संबंध होंगे मजबूत, रोजगार भी मिलेगा
भारत को अमेरिका 22 सी गार्डियन ड्रोन विमान बेचेगा। इन विमानों की अनुमानित कीमत करीब 2 बिलियन डॉलर है। इस डील में शामिल रहे एक अमेरिकी एग्जक्यूटिव के अनुसार इससे न सिर्फ दोनों देशों के संबंधों में मजबूती आएगी, बल्कि अमेरिका में कम से कम 2000 लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा। जबकि सैंकड़ों अन्य लोगों को भी रोजगार मिलने में मदद मिलेगी।
अमेरिका और इंटरनेशनल स्ट्रैटजिक डेवलपमेंट, जनरल एटॉमिक्स के चीफ एग्जक्यूटिव विवेक लाल ने कहा, 'इसे भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय रक्षा संबंधों की मजबूती की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए।' यह बात उन्होंने शुक्रवार को एटलांटिंक काउंसिल में कही। इससे पहले सीनेटर जॉन कोर्नेन ने भी ड्रोन सौदे को दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत बनाने वाला करार दिया था।
मोदी की अमेरिका यात्रा में लगी मुहर
ड्रोन सौदे की घोषणा इसी साल जून में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उस समय की थी, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी। इन ड्रोन का निर्माण जनरल अटॉमिक्स करता है और विवेक लाल ने बताया कि अमेरिका ने इस तरह का सौदा पहली बार किसी गैर नाटो देश के साथ किया है।
चीन पर नजर, भारत पर इनायत
अमेरिका की एक नजर चीन पर है और दूसरी भारत पर। चीन की ताकत को वह समझता है और उसे यह भी अहसास है कि भारत ही चीन को टक्कर दे सकता है। इसलिए क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए वह भारत को हर संभव मदद करने को तैयार है। विवेक लाल ने भी इसी तरह की बात करते हुए कहा कि इससे भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में मदद मिलेगी।
लाल के अनुसार भारतीय नौसेना सी गार्डियन ड्रोन का इस्तेमाल करके अपनी क्षमताओं में इजाफा ही करेगी। यह भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। इससे भारतीय नौसेना को ताकत भी मिलेगी। भारत इस क्षेत्र में पायरेसी, आतंकवाद, पर्यावरणीय नुकसान और नार्कोटिक्स की तस्करी जैसे चुनौतियों से भी निपटना पड़ता है। इससे भारतीय नौसेना को हिंद महासागर में पेट्रोलिंग में मदद मिलेगी।
ये रक्षा सौदे भारतीय सेनाओं को बनाएंगे आधुनिक
भारतीय सेना के तीनों अंगों को आधुनिक तकनीक मुहैया कराने के लिए पिछले कुछ सालों में दुनिया की चोटी के रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनियों और देशों से कई डील हुई हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं...
होवित्जर भी पहुंची भारत
बोफोर्स के बाद भारत ने पिछले तीस सालों में कोई भी तोप नहीं खरीदी थी। अंतत: इस साल 2 होवित्जर तोपें भारत पहुंच गई हैं। भारत और अमेरिका के बीच 5000 करोड़ की डील हुई है, जिसके तहत होवित्जर बनाने वाली कंपनी बीएई सिस्टम्स भारत को 145 एम 777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोप बेचेगा। इस डील पर पिछले साल नवंबर में मुहर लगी।
इस्राइल के साथ बराक-8 सौदा
इस्राइल की सरकारी कंपनी इस्राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्री को भारत से 630 मिलियन डॉलर की डील मिली। इसी साल हुई यह डील भारतीय नेवी के लिए हुई है और इसके तहत इस्राइल भारत को बराक-8 मिसाइलें देगा। बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल है। इस्राइल से 400 मिलियन डॉलर के 10 हेरोन ड्रोन भी खरीदे हैं।
रूस के साथ कैमोव हेलिकॉप्टर डील
भारत के पारंपरिक सहयोगी रूस के साथ कैमोव हेलिकॉप्टर की डील हुई है। इसके तहत अगले दो साल में भारत को यह हेलिकॉप्टर मिलने शुरू हो जाएंगे। भविष्य में रूस से भारत को 200 हेलिकॉप्टर से भी ज्यादा मिल सकते हैं।
भारत में बनेंगे एफ-16 लड़ाकू विमान
अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत में टाटा ग्रुप के साथ एक एग्रीमेंट किया है। इसके तहत कंपनी अत्याधुनिक फाइटर विमान एफ-16 का निर्माण भारत में ही करेगी। यह भी भारत और अमेरिका में मजबूत होते सैन्य रिश्तों को दर्शाता है।
वायुसेना को मिलेगा राफेल
लंबी बातचीत के बाद पिछले ही साल भारत ने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान 'राफेल' खरीदने की डील भी की। 7.8 बिलियन यूरो का यह सौदा दो इंजन वाले राफेल लाड़ाकू विमान के लिए हुआ। इसके तहत भारत को मेटियोर मिसाइलें भी मिलेंगी।
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