NEW DELHI: जरा सोचिए अगर भारत में भी 6 महीने की रात और 6 महीने का दिन हो जाए तो? यकीन मानिए ऐसा हो जाने पर आप अपनी जिंदगी से तंग आ जाओगे। यहां तक की पागल भी हो सकते हो। लेकिन आज भी एक जगह ऐसी है जहां 105 दिन तक अंधेरा छाया रहता है
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यहां के लोग माइनस 55 डिग्री सेल्सियस में भी काम करते हैं। इस तापमान में इंसानों की हड्डियां भी काम करना बंद कर देती है और वहां के वैज्ञानिक ऐसे हालात में काम करते हैं। यहां के लोग और किन-किन परेशानियों का सामना करके जिंदा रहते हैं आइए जानते हैं।
जगह बदलने वाली लैब
यह दुनिया की पहली जगह बदलने वाली लैब है इसका नाम है हैली सिक्स। इस विशाल ढांचे के भीतर अत्याधुनिक लैब और रहने का इंतजान है बड़े आकार के बावजूद लैब आराम से इधर उधर ले जाई जा सकती है।
दरार से खतरा
हैली सिक्स को हाल ही में काफी दूर ले जाना पड़ा। लैब के पास बर्फ में एक बड़ी दरार उभरने के बाद ऐसा किया गया। अनुमान है कि एक विशाल हिमखंड अलग होकर समुद्र में घुलने जा रहा है।
अंतरिक्ष पर नजर
अंटार्कटिक में तैनात हैली सिक्स कई तरह की जानकारियां जुटाती है। ब्रह्मांड में होने वाली मौसमीय हलचल, ओजोन परत की दशा, ध्रुवीय वातावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अहम जानकारी यहीं से आती है।
अंटार्कटिक का टाउन हॉल
लाल बॉक्स सा दिखता ये ढांचा वैज्ञानिक का मीटिंग पॉइंट सा है। गर्मियों में यहां 70 लोग रहते है सर्दियों में सिर्फ 16।
बेस्ट नजारे वाली सीट
साल में 105 दिन ऐसे होते हैं जब यहां 24 घंटे अंधेरा रहता है। अंतहीन सी लगने वाली रात का नजारा गजब का होता है।
ट्रेन सी कनेक्टिंग
लैब आठ मॉड्यूल्स को मिलाकर बनाई गई है हर हिस्से में हॉइड्रॉलिक पाये हैं, इन पायों में स्की जैसे पैड होते हैं। इन पैड्स के सहारे ढांचे बर्फ में फिसलते हुए एक जगह से दूसरी जगह ले जाए जाते हैं।
गलती की गुंजाइश नही
तस्वीरों में ठंड का अहसास नहीं होता। हैली सिक्स में काम करने वाले वैज्ञानिकों को -55 डिग्री सेल्सियस की ठंड का सामना करना पड़ता है। इतनी सर्दी में जिंदगी कुछ ही मिनट में जम जाती है।
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