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Agra: ताजमहल की धरती कहलाने वाले आगरा शहर में एक ऐसा मंदिर बन रहा है, जो ताजमहल को भी पीछे छोड़ रहा है। खबर है कि यह मंदिर 112 साल से बन रहा है और इससे जुड़े कई तथ्य ऐसे हैं जो दुनिया के 7वें अजूबे ताजमहल को भी पीछे छोड़ देंगे। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर होगा, जिसे बनाने में मजदूरों की 4 पीढ़ी गुजर गई हो। बताया जा रहा है कि 113 साल से बन रहे इस मंदिर में अभी तक 400 करोड़ का खर्चा आ चुका है।
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राधास्वामी मत के प्रथम गुरु पूरन धानी माहाराज की समाधि और मंदिर ताज महल के सामने दयालबाग में बनाया जा रहा है। विश्व में इस विचारधारा का पालन करने वाले 2 करोड़ से भी अधिक लोग हैं।
मंदिर और समाधि स्थल, ताज की तरह ही 52 कुओं की नींव पर बना हुआ है। करीब 50 से 60 फीट गहराई तक पत्थरों को जमीन के अंदर डालकर उसके ऊपर पिलर लगाया गया है। इन पिलरों के ऊपर बन रहे गुंबद को इस तरह बनाया जा रहा है कि भूकंप या तूफान का असर इन पर न पड़े।
मंदिर का निर्माण 1904 में शुरू हुआ था। अब तक 112 साल बीत चुके हैं। अभी इसे बनकर पूरा होने में 9 साल और लग सकते हैं। मंदिर का नक्शा करीब 100 साल पहले इटली की एक कंपनी ने बनाया था।
नक्शे में हर एक चीज तय है। जैसे, किस जगह कौन-सा पेड़ लगेगा। 112 साल से करीब 200 मजदूर लगातार इस मंदिर को बना रहे हैं। अब मजदूरों की चौथी पीढ़ी यहां काम कर रही है।
यहां आने वाले श्रद्धालुओं से कोई दान भी नहीं लिया जाता। पदाधिकारियों ने स्वीकार किया है कि करीब 7 करोड़ रुपए सालाना खर्च हो रहे हैं। अब तक करीब 400 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इसे बनाने में किसी तरह की सरकारी या गैर सरकारी मदद नहीं ली गई है। सिर्फ राधास्वामी मत के अनुयायी ही अपने पैसे से इसका निर्माण करवा रहे हैं।
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