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डोकलाम: चैं-चैं कर रहा चीन, नहीं ढूंढ़ पा रहा मोदी सरकार की विदेश नीति की काट

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New Delhi: डोकलाम विवाद पर चीन की चैं-चैं बदस्तूर जारी है। युद्ध की बात करो तो शांति की बात करता है, शांति की बात करो तो ड्रैगन फुस्कार मारने लगता है।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के हालिया बयान पर चीन ने कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया दी है। राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा था कि डोकलाम सीमा विवाद का सकारात्मक हल निकलेगा। लेकिन चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयान का मजाक उड़ाया है।

चाइना के नेताओं की बातें चाऊमीन की तरह उलझी हुई होती हैं। न ही किसी को समझ में आती हैं और न ही उनकी बातों को कोई समझाने वाला मिलता है। कुछ साल पहले जब भारतीय सेना ने अरुणाचलप्रदेश में सड़क बनाने की कोशिश की थी तो चीन ने अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए सड़क निर्माण के काम को रुकवाया दिया। 16 जून 2017 को जब चीन ने डोकलाम में सड़क बनाने की कोशिश की तो भारतीय सेना ने भी चीन के साथ वैसा ही किया जैसा चीन ने कुछ साल पहले किया था। इस कहते हैं जैसे को तैसा।

भारतीय सेना का कार्रवाई पर चीन बौखलाया गया। एक के बाद बयान दिए गए। जो चीन अपनी विदेश नीति को दुनिया में सबसे अच्छा बताता था, आज उसे ये समझ में नहीं आ रहा कि मोदी सरकार की विदेश नीति से किस तरह से पार पाया जाए। भारतीय सेना ने बॉर्डर पर चीनी सेना के काम को रोका तो गृहमंत्री राजनाथ का बयान आया, जिसमें उन्होंने कहा , "डोकलाम विवाद का हल जल्द ही निकाल लिया जाएगा। आश्वस्त हूं कि चीन अपनी तरफ से सकारात्मक पहल करेगा और शांति कायम होगी।" मोदी सरकार की विदेश नीति के सामने इतिहास के जानकार बताते हैं कि पिछले 30 सालों में भारत-चीन के बीच ये सबसे लंबा सीमा विवाद है, इससे पहले साल 1987 में अरुणाचल प्रदेश की चू घाटी में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था, जब दोनों देशों की सेनाओं आमने-सामने थी।

चीन के नेता भारत में आकर कभी झूला झूलते हैं तो कभी मोदी जी के साथ सेल्फी लेते हैं। जिस तरह चाइना के सामान की कोई गारंटी नहीं होती, उसी तरह चीन के नेताओं की बात की भी कोई गारंटी नहीं। चले तो सालों साल चले और न चले तो तुरंत बंद। ऐसा हम देख भी चुके हैं दिल्ली में बैठकर एकतरफ तो खुलकर आंतकवाद का विरोध किया लेकिन जब बात यूएन में आतंकवाद के विरोध की आई तो पाकिस्तान की गोद में जाकर बैठ गए। जिस पाकिस्तान को दुनिया आतंकियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना मानती है, उसी पाकिस्तान को चीन अपना दोस्त मानता है। जब चीन के राष्ट्रपति भारत में थे तो पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष बीजिंग में चीन के मेहमान थे।

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