....
New Delhi : आम धारणा है कि इंसान की मृत्यु के बाद उसे स्वर्ग या नर्क जाना पड़ता है। दुनिया के लगभग हर धर्म में नर्क और स्वर्ग का जिक्र है। स्वर्ग या जन्नत के किस्से आम तौर पर मशहूर हैं, लेकिन नर्क के बारे में लोग कम ही बात करते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं, ऐसी जगह के बारे में जिसे नर्क का दरवाजा या 'डोर टू हेल' कहा जाता है।
Related Articles
दरअसल, तुर्कमेनिस्तान के दरवेजे गांव में स्थित यह जगह आज भी रहस्य बनी हुई है। 70 फीसदी रेगिस्तानी इलाके वाले तुर्कमेनिस्तान के दरवेजे गांव में धरती में बना एक रहस्यमयी गड्ढा आज भी पहेली बना हुआ है। इस गड्ढे में पिछले 50 सालों से भीषण आग धधक रही है। दुनिया इसे नर्क के दरवाजे के नाम से जानती है। काराकुरम रेगिस्तान में बना ये विशाल गड्ढा दरअसल जमीन के अंदर प्राकृतिक गैस के ब्लास्ट से पैदा हुआ है।
दरवेजे गाँव का यह रेगिस्तानी इलाका प्राकर्तिक संसाधनों से परिपूर्ण है। 1971 में पूर्व सोवियत संघ के वैज्ञानिक इस इलाके में तेल और गैस कि खोज करने के लिए आये। उन्होंने दरवेजे गाँव के पास स्थित इस जगह को ड्रिलिंग के लिए चुना। लेकिन ड्रिलिंग शरू करने के कुछ देर बाद ही यह जगह ढह गयी और यहां पर 230 फीट चौडा और 65 फीट गहरा गड्ढा बन गया।
इस दुर्घटना में कोई जन-हानि तो नहीं हुई पर इस गड्ढे से बहुत ज्यादा मात्रा में मीथेन गैस निकलने लगी। मीथेन गैस एक ग्रीनहाउस गैस है जिसका की वातावरण और मानव दोनों पर प्रतिकूल असर होता है। इसलिए इस मीथेन गैस को बाहर निकलने से रोकना जरूरी था। इसके दो विकल्प थे या तो इस गड्ढे को बंद किया जाए या फिर इस मीथेन गैस को जला दिया जाए।
पहला तरीका बेहद ही खर्चीला और समय लगने वाला था। इसलिए वैज्ञानिकों ने दूसरा तरीका अपनाया और इस क्रेटर में आग लगा दी। उनका सोचना था कि कुछ एक दिन में सारी मीथेन गैस जल जाएगी और आग स्वत: ही बुझ जाएंगी। पर वैज्ञानिकों का यह अंदाजा गलत निकला और तब से अब तक ये गड्ढा लगातार धधक रहा है इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि उस जगह मीथेन का कितना विशाल भण्डार है। हर साल दुनिया भर से हजारों सैलानी इसे देखने जाते हैं। डोर टु हेल कोई राज तो नहीं हैं, फिर भी वैज्ञानिकों के लिए ये रहस्य जरूर है कि तकरीबन 50 साल से धधक रही ये आग कब बुझेगी।
This post first appeared on विराट कोहली ने शहीदों के नाम की जीत, please read the originial post: here