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NEW DELHI :
श्रीलंका के खिलाफ रविवार को पहले वनडे में 132 रन की मैच विजयी पारी खेलते वाले भारत के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन उस खराब दौर को नहीं भुले है जिसकी वजह से उन्हें टीम से बाहर रहना पड़ा था और उनका कहना है कि नाकामियों ने उन्हें अहम सबक सिखाया है। उन्होंने कहा कि नाकामी आपको बहुत कुछ सिखाती है और मैं खुशकिस्मत हूं कि मैंने वह सबक सीखा। धवन को खराब फार्म के कारण पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ शृंखला के बाद टीम से बाहर कर दिया गया था। वह इस साल चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए टीम में लौटे और तब से शानदार फॉर्म में हैं।
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श्रीलंका के खिलाफ पहले वनडे में शतक लगाकर भारत को जीत दिलाने के बाद धवन ने कहा कि अगले विश्व कप में अभी काफी समय है। मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं। यही मेरा लक्ष्य है, क्योंकि अगर मैं अच्छा नहीं खेला तो टीम में इतने महान बल्लेबाज हैं कि मेरी जगह कोई भी ले सकता है। खराब दौर के बारे में उन्होंने कहा कि मैं पहले ही खराब दौर से गुजर चुका हूं तो इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचता। जब यह आना होगा, तब आएगा। मैं उसका भी स्वागत करूंगा। जब मैं अच्छा नहीं खेल रहा था तब भी प्रक्रिया पर ध्यान था। अब अच्छा खेलने पर भी प्रक्रिया पर ही ध्यान है।
श्रीलंका दौरे पर धवन ने गाले और पल्लेकेले टेस्ट में भी शतक जमाए थे। उन्होंने कहा कि चैम्पियंस ट्रॉफी 2013 में भी वह ऐसे ही फॉर्म में थे जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला टेस्ट शतक जमाया था। धवन ने कहा कि जब मैंने 2013 चैम्पियंस ट्रॉफी में वनडे टीम में वापसी की तो इसी तरह धाराप्रवाह बल्लेबाजी कर रहा था। इस बार भी चैम्पियंस ट्रॉफी में वही लय थी। उन्होंने कहा कि टीम के युवा खिलाडिय़ों के स्तर तक रहने के लिए उन्हें अपनी फिटनेस पर पूरा ध्यान देना होगा। खेल की रफ्तार के मुताबिक मुझे खुद को फिट रखना होगा। इसके अलावा मेरे ज्यादा लक्ष्य नहीं है कि मुझे इतने रन बनाने हैं। मैं अपनी फिटनेस, कौशल और फील्डिंग पर फोकस करता हूं।
धवन ने श्रीलंकाई टीम के प्रति हमदर्दी जताते हुए कहा कि यह युवा टीम है और बदलाव के दौर से गुजर रही है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में परिपक्वहोने के लिए अनुभव जरूरी है। ये लडक़े अच्छे हैं और समय के साथ बेहतर होंगे।
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