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New Delhi : पाकिस्तान और चीन इस समय के कमाज के बिजनस प्लान पर काम कर रहे हैं। शायद, इस अजीब प्लान को सुनकर आपकी हंसी भी छूट सकती है।
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दरअसल, पाकिस्तान और चीन इस समय अपने रिश्ते मजबूत करने के लिये गधों का सहारा ले रहे हैं। असल में चीन में गधों की जनसंख्या लगभग लुप्त होने की कगार पर है। इसके पीछे कारण है गधों की हत्या।
आपको बता दें कि चीन गधों की हत्या के लिये शुरू से कुख्यात रहा है। गधों की हत्या करने के बाद चीन में उसकी खाल ऊंचे दामों पर बिकती है। विश्लेषकों का कहना है कि गधों की खाल सप्लाई करने के पाकिस्तान को काफी मुनाफा होगा।
पाकिस्तान द्वारा चीन को गधे निर्यात किए जाने की लिये पूरी योजना तैयार हो गई है और इसे 'खैबर पख्तूनख्वा चाइना सस्टेनेबल डंकी डेवेलपमेंट प्रोग्राम' नाम दिया गया है। इसका मकसद चीन को गधे निर्यात करना और चीन में गधों की ब्रीडिंग के लिए मदद मुहैया करना है। बताया जाता है कि एक गधे की खाल से पाकिस्तान को 18 से 20 हजार रुपये तक मिल जाते हैं। गौरतलब है कि खैबर पख्तूनख्वा में बड़ी तादाद में गधे पाए जाते हैं।
खैबर पख्तूनख्वा-CPEC वेबसाइट ने इस बारे में जानकारी देते हुए लिखा है कि इस प्रस्तावित योजना के अंतर्गत गधों की संख्या को बढ़ाने का फैसला किया गया है। इस प्रोग्राम के तहत गधों की आबादी में इजाफा करने पर ध्यान दिया जाएगा ताकि चीन को होने वाले निर्यात में कमी ना आए। इससे गधे पालने वालों की आमदनी बढ़ेगी और प्रांत के कारोबारियों को भी फायदा होगा। वेबसाइट पर आगे लिखा गया है कि इस प्रस्तावित योजना के द्वारा गधे पालने वाले समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। हालांकि 2015 में पाकिस्तान ने गधों की खाल के निर्यात पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय गधों के विलुप्त होने की आशंकाओं के मद्देनजर यह फैसला लिया गया था।
चीन में बनने वाली ज्यादातर दवाओं में गधों की चमड़ी से बना जिलेटिन इस्तेमाल होता है। इसके लिए चीन को ज्यादा संख्या में गधों की ज़रूरत है। इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान को दी गई है। इसके लिए चीन पाकिस्तान को 50 बिलियन डॉलर रुपये भी देने वाला है। खबरों के अनुसार पाकिस्तान में गधों का पालन शुरू हो गया है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रान्त की सरकार भी इसको लेकर तैयारी कर रही है। एक अरब डॉलर की खैबर-पख्तूनख्वा चीन स्थायी गधा विकास परियोजना से पाकिस्तान को काफी राजस्व की उम्मीद है।
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