New Delhi: एक तरफ है टीम इंडिया जो सीनियर खिलाड़ियों के दबाव के बीच कई बार नए खिलाड़ियों को मौका देने में हिचकती दिखी है। वहीं, दूसरी तरफ इंग्लैंड और द-अफ्रीका के बीच मंगलवार को संपन्न हुई टी20 सीरीज में एक खास नजारा देखने को मिला जब हर मैच में प्रयोग हुआ
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सवाल यही है कि क्या अगले विश्व कप को देखते हुए भारत समेत अन्य टीमें भी आगे ऐसे धुआंधार प्रयोग करती नजर आएंगी?
एक सीरीज में 7 का आगाज
इंग्लैंड-दक्षिण अफ्रीका के बीच हुई तीन टी20 मैचोंं की सीरीज में मेजबान इंग्लैंड ने 2-1 से जीत दर्ज की। सीरीज की दिलचस्प बात यह रही कि यहां पांच दिनों में खेले गए तीन टी20 मैचों में 7 खिलाड़ियों ने अपने करियर का आगाज किया। इंग्लैंड की तरफ से पांच खिलाड़ियों ने आगाज किया जबकि दक्षिण अफ्रीका की तरफ से दो खिलाड़ियों ने। पहले मैच में इंग्लैंड की तरफ से मेसन क्रेन ने जबकि द.अफ्रीका की तरफ से ड्वेन प्रिटोरियस और तबरेज शम्सी ने करियर का आगाज किया।
दूसरे मैच में इंग्लैंड की तरफ से टॉम क्यूरन और लियम लिविंगस्टोन को पहली बार मौका मिला। वहीं, तीसरे व अंतिम मुकाबले में इंग्लैंड ने डेविड मलान को पहली बार मौका दिया और वो सर्वाधिक 78 रन बनाकर 'मैन ऑफ द मैच' भी बने। इससे पहले वनडे सीरीज में भी दक्षिण अफ्रीका ने जहां केशव महाराज को पहली बार वनडे खेलने का मौका दिया, वहीं इंग्लैंड फाइनल व अहम मैच में भी टोबी रोलैंड-जोन्स को पहला मौका देने से नहीं हिचका। यानी पिछले एक महीने में द्विपक्षीय वनडे व टी20 सीरीज के दौरान इन दोनों टीमों ने कुल 9 खिलाड़ियों को शुरुआत करने का मौका दिया।
विश्व कप तैयारी की ओर पहला कदम
उधर, वेस्टइंडीज में वनडे सीरीज खेलने उतरी टीम इंडिया अभी भी कुछ सीनियर खिलाड़ियों के दबाव से जूझ रही है। लय से बाहर नजर आ रहे अनुभवी दिग्गजों (धौनी और युवराज) को हटाकर बेंच स्ट्रेंथ को आजमाना कप्तान के लिए काफी मुश्किल काम बना हुआ है। द्रविड़ सहित तमाम पूर्व दिग्गजों ने मध्यक्रम में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया है। बेशक भारतीय टीम में कई खिलाड़ियों को डेब्यू का मौका मिलता आया है लेकिन भारतीय क्रिकेट में स्टार का दर्जा हासिल करने वाले खिलाड़ियों को आराम देना भी इतना आसान नहीं है।
तमाम कयासों व विवादों के बाद किसी तरह स्पिनर कुलदीप यादव को पहला मौका मिल सका और अब रिषभ पंत को आजमाने के लिए क्या बदलाव किया जाए इस पर गहन मंथन जारी है। जहां एक कमजोर टीम के खिलाफ खेलते हुए भारत दो खिलाड़ियों को बमुश्किल डेब्यू करा पा रहा है, वहीं मजबूत विरोधियों के खिलाफ खेलते हुए भी इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका ने प्रयोगों की बौछार कर डाली। कुछ प्रयोग सफल रहे, कुछ नहीं, लेकिन कम से कम युवा खिलाड़ियों को परखने का काम शुरू तो हो ही गया। इंग्लैंड में अगले विश्व कप (2019) को देखते हुए खिलाड़ियों को आजमाने का काम पूरी तेजी से शुरू हो चुका है, फिर चाहे वो किसी भी प्रारूप के जरिए क्यों न हो। अगला विश्व कप इंग्लैंड में होना है और हर टीम अपने देश में मौजूद सभी संभावित विकल्पों का आंकलन करना चाहेगी।
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