Ulte Hanuman Ji Mandir Indore : हनुमानजी ने भगवान राम की सेना को अपनी वीरता और बुद्धिमत्ता से संगठित किया था। उन्होंने अपनी असीम शक्तियों का प्रदर्शन किया और राक्षसों के साथ युद्ध किया। उनका अद्भुत साहस, विशाल शक्ति, और अनंत भक्ति लोगों के मन में एक अद्वितीय स्थान बना लेते हैं। हनुमानजी का नाम जुड़ा है जिसे उनके प्रभावी बल और बुद्धि के साथ जोड़ा गया है। आपने हनुमानजी के मंदिरों में खड़ी और बैठी हुई मूर्ति देखी होगी, लेकिन शायद ही कहीं बजरंगबली की उल्टी प्रतिमा देखी होगी। इंदौर के पास स्थित एक प्राचीन मंदिर में स्थापित है। इस प्रतिमा के पीछे एक पौराणिक कथा है जो इसे अद्वितीय बनाती है। यहां की उलटी प्रतिमा हनुमानजी की एक अनोखी और विशिष्ट प्रतिमा है, जो उनके अनुकरण में स्थित है। यह मंदिर हनुमानजी के भक्तों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध है और लोग इसे दर्शन के लिए यात्रा करते हैं। इस प्रतिमा का समर्पण भगवान हनुमान के अनुकरण में है, जो बल और बुद्धि के स्वामी माने जाते हैं।
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ऐसी है उल्टी हनुमान जी की प्रतिमा की मान्यता (Belief of The Statue Of)
ऐसी मान्यता है कि एक समय हनुमानजी का राक्षस अधिपति श्री हनुमानजी की प्रतिमा के सामने प्रणाम करने के लिए गया था, लेकिन उसने गलती से प्रतिमा की उल्टी दिशा में प्रणाम किया। इस पर हनुमानजी ने उसे सीखने के लिए प्रतिमा की उल्टी प्रतिमा बनाने का श्राप दे दिया। इसी कारण सांवेर में बजरंगबली की उल्टी प्रतिमा स्थापित है।
ऐसी है पौराणिक कथा (Mythology Story of Ulte Hanuman Ji)
वहीं, अन्य कथा के अनुसार, अहिरावण ने अपनी मायावी शक्ति का उपयोग करके श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्छित कर उन्हें पाताललोक ले गया। लेकिन उन्हें उस अद्भुत समय की सूचना हो गई जब उनके भक्त हनुमानजी ने उन्हें ढूंढ़ निकाला और मायावी वृक्ष को पहचानकर उसे जला दिया। इस प्रकार हनुमानजी ने श्रीराम और लक्ष्मण को पाताललोक से मुक्त किया। अहिरावण का चल राम के लिए एक चुनौती थी, क्योंकि वह एक बहुत ही महान राक्षस था, जिसने बहुत सारे देवताओं को भी पराजित किया था। उसकी मायावी शक्ति से उसने श्रीराम और लक्ष्मण को मूर्छित कर उन्हें पाताललोक में ले जाकर बंद कर दिया। यह घटना भगवान राम के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण बनी, जिसमें हनुमानजी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अहिरावण के बल से उन्हें मुक्त करने में सहायता की। इसके बाद, भगवान राम और लक्ष्मण पाताललोक से स्वतः मुक्त हो गए और अहिरावण का वध किया। इसके पश्चात, वे अपने धर्म का पालन करते हुए अयोध्या लौटे।
Ulte Hanuman Ji Mandir Indore