Lok Sabha Election 2024: पूर्वांचल की दूसरी हॉट सीट में शामिल वाराणसी की अपनी अलग राजनीतिक महत्ता है। इस शहर को 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं इनके अलावा इसे मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर' और 'ज्ञान नगरी' के नामों से भी संबोधित किया जाता है। वाराणसी में मौसम की तल्खी, के बीच चुनावी पारा चढ़ने लगा है। इसी के साथ दुनिया के सभी छोटे-बड़े देशों की निगाहें एक बार फिर भारत की सांस्कृलतिक राजधानी काशी पर टिकी हैं। वाराणसी लोकसभा सीट से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं। पीएम मोदी तीसरी बार यहां चुनावी रण में उतरें हैं। जबकि उनको चुनौती देने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। वहीं बसपा ने अतहर जमाल लारी को उम्मीदवार बनाया है।
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बता दें कि इस बार पीएम मोदी के निशाने पर तीन रेकॉर्ड हैं। पहला रेकॉर्ड है वाराणसी लोकसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाना। इससे पहले दो सांसद ही यहां से जीत की हैट्रिक लगा सके हैं। इसके अलावा मोदी, पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की तरह यूपी के एक निर्वाचन क्षेत्र से तीन चुनाव जीतने के रेकॉर्ड की बराबरी कर सकते हैं। बतौर प्रधानमंत्री नेहरू फूलपुर लोकसभा सीट से लगातार तीन चुनाव जीते थे, जबकि इंदिरा ने भी रायबरेली से यही रिकॉर्ड बनाया था। हालांकि, इंदिरा रायबरेली से जीत की हैट्रिक नहीं लगा सकी थीं।
अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा की ओर से चुनावी रण में उतरे पीएम नरेंद्र मोदी ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहीं शालिनी यादव को 4,79,505 वोट से हराकर अपनी पिछला रेकॉर्ड तोड़ दिया था। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी को 6,74,664 और शालिनी यादव को 1,95,159 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के अजय राय को 1,52,548 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से पर्चा भरा। उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रहे अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 वोट से हराया था। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी को 5,81,022 और अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के अजय राय को 75,614 और बसपा के विजय प्रकाश जयसवाल को 60,579 वोट मिले थे। वहीं सपा के कैलाश चौरसिया को 45,291 वोट मिले थे।
यहां जानें वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के बारे में
- वाराणसी लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 77 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
- इस लोकसभा क्षेत्र का गठन वाराणसी जिले के रोहनिया, वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी छावनी व सेवापुरी विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- वाराणसी लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
- यहां कुल 18,56,791 मतदाता हैं। जिनमें से 8,29,560 पुरुष और 10,27,113 महिला मतदाता हैं।
- वाराणसी लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,60,829 यानी 57.13 प्रतिशत मतदान हुआ था।
वाराणसी लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
गंगा नदी के किनारे बसा प्राचीन शहर वाराणसी को हिन्दू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में दर्जा दिया गया है। इसे मोक्ष नगरी भी कहते हैं। इसके अलावा बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी यह एक तीर्थ स्थल है। इस शहर के नाम को लेकर मान्यता है कि दो नदियों वरुणा और असि के बीच बसे शहर को वाराणसी कहा जाता है। जानकार बताते हैं कि कुछ पुराणों में भी इस शब्द की उत्पत्ति का जिक्र इसी रूप में मिलता है कि यह शहर वरणा या वरुणा और असि नाम की दो धाराओं के बीच में स्थित है। वाराणसी में वरुणा उत्तर में गंगा से मिलती है। वहीं असि नदी की मुलाकात दक्षिण में गंगा से होती है। बौद्ध जातक कथाओं में भी वाराणसी का उल्लेख किया गया है। यह शहर अध्यात्मवाद, रहस्यवाद, संस्कृत, योग, और हिन्दी भाषा के प्रचार से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं एवं अनेक धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि यह शहर पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। स्कन्द पुराण, रामायण, महाभारत, ऋग्वेद आदि महत्वपूर्ण ग्रंथ इस शहर की मौजूदगी के गवाह हैं। यह भी मान्यता है कि इस शहर को भगवान शंकर ने बसाया था। हरिवंश पुराण में काशी को बसाने का श्रेय भरतवंशी राज्य काश को दिया गया है।
अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन ने लिखा है कि बनारस इतिहास से भी पुराना है। परंपराओं से भी पुरातन है। उन्होंने इसे किंवदंतियों से भी प्राचीन होने की संज्ञा दी है। इसके अनेक प्रमाण उपलब्ध हैं। संभवतः यही वे कारण हैं कि वाराणसी ने अभी भी खुद को जीवंत रखा है। यहां की गलियों में अभी भी बहुत कुछ ऐसा देखा-सुना जाता है, जो देश-दुनिया के किसी और कोने में नहीं मिलता है। वाराणसी में 88 से ज़्यादा घाट हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए एक शानदार मंच प्रदान करते हैं। यहां के बनारसी साड़ी, बनारसी पान, बनारसी ठग, और कलाकंद मिठाई का देश विदेश में पहचान है। इस शहर ने भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद जैसे लेखकों को जन्म दिया है तो यहां के प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत घराने से निकले पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया और उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जैसे संगीतकारों ने काशी का मान सम्मान बढ़ाया। गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन इसी शहर के पड़ोस में स्थित सारनाथ में दिया था।
1967 के चुनाव में सीपीआई को मिली जीत
वाराणसी लोकसभा सीट पर अब तक हुए 16 चुनावों में सात बार कांग्रेस और भाजपा ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा यहां से एक-एक बार जनता दल और सीपीएम उम्मीदवार को भी जीत नसीब हुई है। वहीं, भारतीय लोकदल ने भी इस सीट पर एक बार जीत हासिल की है। जबकि सपा और बसपा का इस सीट पर खाता नहीं खुला है। माफिया मुख्तापर अंसारी ने बसपा के सिंबल पर 2009 में और अतीक अहमद ने 2019 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर किस्म त आजमाई थी, लेकिन जनता ने दोनों को नकार दिया था। आजादी के बाद 1952 में हुए चुनाव में वाराणसी जिले में बनारस मध्य, बनारस पूर्व और बनारस-मीरजापुर लोकसभा सीटें थी। यहां से रघुनाथ सिंह और त्रिभुवन नारायण सिंह सांसद बने. लेकिन 1957 के चुनाव में कांग्रेसी नेता रघुनाथ सिंह सांसद चुने गए। 1962 में भी जनता ने रघुनाथ सिंह को ही विजयी बनाया। लेकिन 1967 के चुनाव में यहां से पहली बार सीपीएम के सत्य नारायण सिंह ने चुनाव जीता। 1971 में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री सांसद बनें। 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर की बदौलत वाराणसी से चन्द्रशेखर चुनाव जीते। 1980 में कमलापति त्रिपाठी वाराणसी सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1984 में कांग्रेस के श्यामलाल यादव सांसद बने। लेकिन 1989 में इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल कुमार शास्त्री ने जनता दल के टिकट पर पर्चा भर दिया। उन्होंने कांग्रेस के श्यामलाल यादव को 1,71,603 वोट से हराकर जीत दर्ज की।
1991 में भाजपा ने खिलाया कमल
90 के दशक में देश में चल रहे राम मंदिर आंदोलन के दौरान इस सीट पर भाजपा ने कमल खिला दिया। 1991 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर श्रीश चंद्र दीक्षित सांसद बने। उन्होंने सीपीआई के उम्मीदवार राज किशोर को 40,439 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी। 1996 के चुनाव में शंकर प्रसाद जयसवाल ने भाजपा के टिकट पर पर्चा भर दिया और यहां की जनता ने उनको अपना सांसद चुन लिया। उन्होंने यह जीत 1998 और 1999 में भी दोहरा दी। लेकिन 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और राजेश कुमार मिश्रा ने भाजपा के शंकर प्रसाद जयसवाल को 57,436 वोट से हराकर सांसद बने। लेकिन 2009 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर मुरली मनोहर जोशी ने पर्चा भर दिया। उनके खिलाफ बसपा ने माफिया मुख्तार अंसारी को उतार दिया। मुरली मनोहर जोशी ने मुख्तार अंसारी को 17,211 वोट से हराकर जीत दर्ज की।
वाराणसी लोकसभा क्षेत्र की जातीय समीकरण
वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां गैर यादव ओबीसी कुर्मी जाति की बहुलता है। लोकसभा क्षेत्र के रोहनिया और सेवापुरी में सबसे ज्यादा कुर्मी वोटर हैं। इसके अलावा ब्राह्मण और भूमिहार भी अच्छी खासी संख्या में यहां मौजूदगी रखते हैं। यहां 3 लाख से ज्यादा ओबीसी वोटर हैं, जिसमे 2 लाख से ज्यादा कुर्मी वोटर हैं। 2 लाख के करीब वैश्य, डेढ़ लाख भूमिहार के अलावा एक लाख से ज्यादा यादव वोटर है। बनारस में 3 लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं।
वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
- कांग्रेस से रघुनाथ सिंह 1952,1957 और 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से सत्य नारायण सिंह 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से राजाराम शास्त्री 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से चन्द्रशेखर 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से कमलापति त्रिपाठी 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से श्यामलाल यादव 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से अनिल शास्त्री 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से श्रीश चंद्र दीक्षित 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से शंकर प्रसाद जयसवाल 1996, 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से राजेश कुमार मिश्र 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से मुरली मनोहर जोशी 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से नरेंद्र मोदी 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।