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Loksabha Election 2024: हरदोई लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का रहा है गढ़, फिर बना भाजपा का मजबूत किला, जानें समीकरण

Lok Sabha Election 2024: प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पड़ोस में स्थित हरदोई जिले का सियासत में खास पहचान है। सुरक्षित लोकसभा सीटों में शामिल हरदोई कभी कांग्रेस का गढ़ रहा है। लेकिन यहां भाजपा का कब्जा है और इस बार भाजपा हैट्रिक लगाने की तैयारी में है। जबकि सपा फिर से यहां वापसी करना चाहती है तो बसपा यहां पर अपना खाता खोलना चाहती है। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने वर्तमान सांसद जय प्रकाश रावत पर दुबारा दांव लगाया है। जबकि सपा ने ऊषा वर्मा को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने भीमराम अंबेडकर को उम्मीदवार बनाया है। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के जय प्रकाश रावत ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार उषा वर्मा को 1,32,474 वोट से हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में जय प्रकाश रावत को 5,68,143 और उषा वर्मा को 4,35,669 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के वीरेन्द्र कुमार को महज 19,972 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा के अंशुल वर्मा ने बसपा के शिव प्रसाद वर्मा को 81,343 वोट से हराकर करीब 17 साल बाद यह सीट भाजपा के झोली में डाला था। इस चुनाव में अंशुल वर्मा को 3,60,501 और शिव प्रसाद वर्मा को 2,79,158 वोट मिले थे। जबकि सपा के उषा वर्मा को 2,76,543 और कांग्रेस के सर्वेश कुमार को 23,298 वोट मिले थे।

यहां जानें हरदोई लोकसभा क्षेत्र के बारे में

हरदोई लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 31 है।

यह लोकसभा क्षेत्र 1962 में अस्तित्व में आया था।

इस लोकसभा क्षेत्र का गठन हरदोई जिले के सवायजपुर, शाहाबाद, हरदोई, गोपामऊ और सांडी विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।

हरदोई लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।

यहां कुल 18,07,119 मतदाता हैं। जिनमें से 8,25,832 पुरुष और 9,81,231 महिला मतदाता हैं।

हरदोई लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,57,847 यानी 58.54 प्रतिशत मतदान हुआ था।

हरदोई लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

हरदोई का नाता ‘हिरणकश्यप’ से रहा है। पहले इसे ‘हरिद्रोही’ के नाम से जाना जाता था, बाद में यह हरदोई कहा जाने लगा। भगवान नरसिंह और वामनावतार वाला यह धरा ऐतिहासिक-सांस्कृतिक धरोहरों से भी भरी हुई है। पौराणिक तीर्थ स्थल है। ऐतिहासिक मंदिर हैं तो अपने आप में इतिहास छिपाए दरगाह और मस्जिदें भी हैं। पर्यटन के मानचित्र में विशेष स्थान रखने वाली सांडी की दहरझील भी यहीं पर है। जिले की सीमा उत्तर में शाहजहांपुर और लखीमपुर खीरी, लखनऊ, तो दक्षिण में उन्नाव, पश्चिम में कानपुर और फर्रुखाबाद से जुड़ी हुई है तो पूर्व की ओर गोमती नदी जिले को सीतापुर से अलग करती है। गंगा-जमुनी तहजीब वाली हरदोई का राजनीति के क्षेत्र में अपना खास स्थान रहा। आजाद भारत में हरदोई दक्षिणी उत्तरी के साथ फर्रुखाबाद पूर्वी और शाहजहांपुर को मिलाकर एक लोकसभा सीट था। 1951 में हुए चुनाव में एक सामान्य और एक आरक्षित वर्ग का सांसद यहाँ से चुने गए थे। 1957 तक सामान्य रहने के बाद यह सीट सुरक्षित हो गई। चुनाव कोई भी रहा हो, मुद्दे दूर ही रहे और मतदाता लहरों में बहकर चेहरों को चुनते रहे हैं। यहां हरियाणा से आए चौधरी चंदराम तक सांसद बन गए और लोकतांत्रिक कांग्रेस ने भी जीत दर्ज की है।

1984 के बाद कांग्रेस को नहीं मिली सफलता 

इस सीट पर 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के छेदा लाल गुप्ता सांसद चुने गए। लेकिन 1957 में जनसंघ के द्रोहर शिवदीन ने कब्जा जमाया। हालांकि इसी साल हुए उपचुनाव में कांग्रेस के छेदा लाल गुप्ता ने फिर जीत हासिल की। फिर 1962,1967 और 1971 में भी कांग्रेस के पास ही सीट रही और किंदर लाल ने जीत की हैट्रिक लगाई। देश में लागू किए गए इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के परमाई लाल ने जीत दर्ज की। फिर 1980 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मन्नीलाल तो 1984 में किंदर लाल ने जीत दर्ज की। लेकिन 1989 में जनता दल के परमाई लाल ने दूसरी बार जीत दर्ज की। फिर 1990 में उपचुनाव कराया गया जिसमें जनता दल के टिकट पर हरियाणा के चौधरी चांद राम को जीत मिली। 90 के दशक में देश में चल रहे रामलहर के दौरान 1991 में भाजपा ने यहां से अपनी जीत का खाता खोला। जयप्रकाश रावत सांसद बने। 1996 में भी जयप्रकाश रावत ने ही जीत दर्ज की। लेकिन 1998 के चुनाव में सपा की उषा वर्मा ने साइकिल दौड़ाकर खाता खुलवा दिया। 1999 में नरेश अग्रवाल की पार्टी अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जयप्रकाश रावत मैदान में उतरे और जीत दर्ज की। फिर 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में ऊषा वर्मा ने सपा को जीत दिलाई।

हरदोई लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण 

हरदोई लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां लोकसभा चुनाव में जीत का दारोमदार अगड़ी व पिछड़ी जातियों पर रहता है। राजनीतिक दल अमूमन पासी बिरादरी के उम्मीदवारों को चुनाव में उतार कर बढ़त बनाते आए हैं। क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य मतदाताओं के साथ ही पिछड़ी जातियों में से कुर्मी, गड़रिया, काछी, कहार व यादव को छोड़ कर अन्य पिछड़ी जातियों का गठजोड़ जीत हार तय कर देता है।

हरदोई लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

कांग्रेस से छेदा लाल 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

जनसंघ से द्रोहर शिवदीन 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

कांग्रेस से छेदा लाल 1957 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।

कांग्रेस से किंदर लाल 1962,1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

जनता पार्टी से परमाई लाल 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

कांग्रेस से मन्नी लाल 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

कांग्रेस से दयालु लाल 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

जनता दल से परमाई लाल 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

जनता दल से चौधरी चंद राम 1990 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए।

भाजपा से जय प्रकाश रावत 1991 और 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

सपा से उषा वर्मा 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस से जय प्रकाश रावत 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

सपा से उषा वर्मा 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।

भाजपा से अंशुल वर्मा 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।

भाजपा से जय प्रकाश रावत 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।



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