UP First Glass Bridge : उत्तर प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वाक ब्रिज चित्रकूट में बनकर तैयार हो गया है। यह ब्रिज भगवान राम के धनुष और बाण के आकार जैसा बनाया गया है, जो देखने में अति सुंदर लग रहा है। उत्तर प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वाक ब्रिज चित्रकूट में तुलसी (शबरी) जल प्रपात पर बनकर लगभग तैयार हो गया है।
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टफन ग्लास से निर्माण
ग्लास ब्रिज के बनने से पर्यटकों को झरने के बीच तक पहुंचने का मौका मिलेगा और ग्लास के ब्रिज के सहारे इस प्राकृतिक झरने का नजारा देखने का आनंद मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि एक बार में लगभग 15 पर्यटक इस ग्लास ब्रिज के आखरी छोर पर बने केबिन तक पहुंच सकेंगे, जो लगभग 30 फीट की ऊंचाई से गिर रहे झरने के करीब तक यह यह ग्लास ब्रिज पहुंचेगा। दोनों ओर से बनी सीढ़ियों के सहारे वह वापस उतर सकेंगे। उन्होंने बताया कि मोटे कांच से निर्मित होने वाले इस ब्रिज में टफन ग्लास का प्रयोग कर किया जाएगा।
क्या है इतिहास
बता दें कि कोल भील आदिवासी गावों से घिरे इस जलप्रपात का नाम आदिवासी सबरी के नाम पर सबरी जल प्रपात रखा गया। झरने पर पहुचने के पूर्व में यहां सबरी के नाम पर एक मंदिर का निर्माण भी किया गया था, हालांकि कुछ माह पूर्व इस झरने का नाम बदल कर सबरी जल प्रपात की जगह तुलसी जल प्रपात रख दिया गया है।
ये है खासियत
पुल के डिज़ाइन को अत्यधिक मनमोहन बनाया गया है, खाई की ओर तीर की लंबाई 25 मीटर है और दो स्तंभों के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है।
पुल को 500 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर की भार क्षमता को सहन करने के लिए बनाया गया है, जो आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
ग्लास स्काईवॉक ब्रिज को लोकसभा चुनाव के बाद पर्यटकों के लिए खोल दिया जायेगा और यह एक प्रमुख इको-पर्यटन स्थल बनने के लिए तैयार है। स्थानीय अधिकारी आगंतुकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए आसपास के क्षेत्र में एक पार्क, हर्बल गार्डन और रेस्तरां विकसित करने की भी योजना बना रहे हैं।
हरे-भरे हरियाली से घिरा तुलसी झरना का अत्यधिक मनमोहक दृश्य है।
तीन झरने वाली धाराएँ चट्टानों से लगभग 40 फीट नीचे एक विस्तृत जल तल में गिरती हैं, जिससे एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य का निर्माण होता है। स्काईवॉक ब्रिज पर चलते हुए, आगंतुक झरने के मनोरम दृश्यों और नीचे के हरे-भरे परिदृश्य का आनंद ले सकते हैं, जिससे यह एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।