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UP News: नैमिषारण्य स्थित अंतरराष्ट्रीय वैदिक विज्ञान केंद्र के लिए हम प्रतिबद्ध- अवनीश अवस्थी

Lucknow News: अंतरराष्ट्रीय वैदिक विज्ञान केंद्र, नैमिषारण्य के प्रारूप एवं विकास की रूपरेखा पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन (26 अप्रैल) का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ अवनीश अवस्थी (सलाहकार, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश) ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अवनीश अवस्थी ने कहा, 'विश्व में आज अयोध्या और काशी में सबसे अधिक तीर्थ यात्रियों का आगमन हो रहा है। यह सनातन प्रज्ञा की ओर उन्मुख वैश्विक आकर्षण का साक्षात प्रमाण है। अंतर्राष्ट्रीय वैदिक विज्ञान केंद्र, नैमिषारण्य उत्तर प्रदेश सरकार के इसी संस्थागत प्रयास को रेखांकित करता है।'

दुनिया भर से अयोध्या-काशी आ रहे तीर्थयात्री- अवनीश अवस्थी 

सत्र के दूसरे दिन वैदिक विज्ञान केंद्र, नैमिषारण्य की कार्ययोजना और संस्थान के प्रारूप और भविष्य के स्वरूप पर चर्चा हुई। अपने अध्यक्षीय संबोधन में अवनीश अवस्थी ने कहा, 'विश्व में आज अयोध्या और काशी में सबसे अधिक तीर्थयात्रियों का आगमन हो रहा है। यह सनातन प्रज्ञा की ओर उन्मुख वैश्विक आकर्षण का साक्षात प्रमाण है। इस प्रज्ञा को परिणाम में बदलने के लिए संस्थागत प्रयास की आवश्यकता को उत्तर प्रदेश सरकार ने रेखांकित किया है। उन्होंने कहा, इस संस्थागत प्रयास के लिए स्थान और स्वरूप को चिन्हित करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है।


यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सलाहकार ने कहा, 'ऐसा ही संस्थान नैमिषारण्य में निर्मित करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने बताया, पूरी दुनिया में क्राउडफंडिंग का सबसे बड़ा उदाहरण अयोध्या का श्रीराम मंदिर है। यह व्यापक जन आस्था और तीर्थों के प्रति हमारी अगाध श्रद्धा की शाश्वत परंपरा का परिणाम है। वैदिक विज्ञान केंद्र की स्थापना उत्तर प्रदेश सरकार की अति महत्वपूर्ण एवं प्राथमिकता वाली परियोजना है।'

15 दिनों के भीतर भेजें सुझाव

अवनीश अवस्थी ने चर्चा सत्र में आए सभी सहभागियों से समयबद्ध रूप से अगले 15 दिनों के भीतर ईमेल के माध्यम से धर्मार्थ कार्य विभाग, उत्तर प्रदेश के संयुक्त निदेशक विश्व भूषण को अच्छे सुझाव भेजने का आग्रह किया। उन्होंने नॉलेज पार्टनर 'इंडिया थिंक काउंसिल' के सहयोग से धर्मार्थ कार्य विभाग, उत्तर प्रदेश से इसे लिखकर उपयोग में लेने को कहा।


धार्मिक स्थलों के विकास से यूपी की अर्थव्यवस्था में वृद्धि

अवनीश अवस्थी ने बताया कि, 'अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि और श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण से जुड़े रहने और उत्तर प्रदेश पर्यटन, संस्कृति तथा धर्मार्थ कार्य विभाग के नेतृत्व अनुभव को साझा किया। वो बोले, आज सभी के व्यापक परिणाम की समीक्षा से यह स्पष्ट दिख रहा है कि, इन स्थलों के संस्थागत विकास तथा भव्य स्वरूप में हुए निर्माण से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।'

'प्रजा का सुख' मानवीय अर्थव्यवस्था का अंग- प्रो. आलोक राय   

कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय ने मानवीय अर्थव्यवस्था विषयक सत्र में संकट के समय की अर्थव्यवस्था, राजा के धार्मिक न्याय और विवेक तथा समेकित रूप में प्रजा के सुख को संज्ञान में रखने को मानवीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख अंग बताया। उन्होंने नयी शिक्षा नीति को विश्वविद्यालय में लागू करते हुए, संस्थागत और शिक्षा में हुए रचनात्मक सुधार तथा प्रभाव को आंकड़ों के माध्यम से चर्चा सत्र में प्रस्तुत किया।


काशी विश्वनाथ मंदिर का नवाचार सकारात्मक   

सत्र में विश्व भूषण (संयुक्त निदेशक धर्मार्थ कार्य एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी) ने कहा, 'श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने काशी विश्वनाथ मंदिर को केंद्र में रखते हुए प्रबंधन व्यवस्था द्वारा लाखों श्रद्धालुओं को प्रतिदिन निर्बाध दर्शन की सुगम व्यवस्था की।' उन्होंने बताया, मंदिर की ओर से एवं लोक कल्याण पर व्यय में वृद्धि से मंदिर अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के साथ ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर द्वारा किए जा रहे नित नए प्रयोगों से समग्र विकास का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।

युवाओं के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा पर बने रील्स 

ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के कार्यकारी निदेशक पंकज गुप्ता ने अपने शोध और संस्था के विकास के अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया, 'आज के युवा केवल रोजगारपरक अध्ययन में ही आना चाहते हैं। ज्ञान और ज्ञान परक शोध पर नहीं काम करना चाहते। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा पर ज्ञानवर्धक सूक्ष्म वीडियो (रील्स) बनाकर युवा और नई पीढ़ी तक सही सूचना और पौराणिक गाथाओं के विज्ञान को प्रचारित करने पर बल दिया। मानवीय जीवन विज्ञान और विकास, आयुष तथा मानवीय अर्थशास्त्र आज के कार्यक्रम के तीन प्रमुख सत्र रहे।

ये गणमान्य हुए चर्चा में शामिल 

सत्र में, वैदिक विज्ञान शोध बेंगलुरु के अध्यक्ष प्रो. रामचंद्र भट, अखिल भारतीय आयुष संस्थान, दिल्ली के निदेशक डॉ. तनुजा नेसारी, भारतीय तकनीकी संस्थान रुड़की के प्रो. राम मनोहर सिंह, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट लंदन के डॉ दिवाकर सुकुल, भारतीय तकनीकी संस्थान कानपुर की काजल श्रीवास्तव, भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ के प्रो अनादि पांडे ने चर्चा सत्र में अपने-अपने विचार रखे एवं विशिष्ट प्रस्तुतियों को प्रस्तुत किया।

'वेलनेस से हैप्पीनेस' पर बल  

अखिल भारतीय आयुष संस्थान निदेशक डॉ तनुजा नेसारी ने 'इलनेस से वेलनेस' और 'वेलनेस से हैप्पीनेस' की आयुष परंपरा पर बल दिया। साथ ही, नैमिषारण्य में आयुष शोध केंद्र की योजना का सुझाव भी दिया। उन्होंने थीमेटिक वैदिक मेडिसिनल गार्डन, वैदिक आयुष संग्रहालय, वेलनेस टूरिज्म तथा कौशल विकास से सम्बद्ध करते हुए पाठ्यक्रम संचालित करने का प्रस्ताव दिया। नेसारी ने अखिल भारतीय आयुष संस्थान द्वारा नैमिषारण्य में सम्पूर्ण सहयोग करने का आश्वासन भी दिया।

यज्ञ, मंत्र, वाद्य थेरेपी से बीमारियों के निदान पर प्रस्तुति

लंदन से आए क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ दिवाकर सुकुल ने यज्ञ, मंत्र, वाद्य थेरेपी से गंभीर बीमारियों से निदान दिलाने पर प्रस्तुति दी। उन्होंने पास्ट लाइफ रिग्रेशन, मंत्र चिकित्सा (Vibration Therapy), क्वांटम थेरेपी, विज्ञान और संस्कृत तथा वेद के प्रायोगिक साक्ष्य इत्यादि को लेकर लन्दन में हो रहे शोध और कार्य को नैमिषारण्य में योगदान के रूप में देने का प्रस्ताव दिया।

आईआईटी कानपुर से मिले कई सुझाव 

आईआईटी कानपुर, से काजल श्रीवास्तव ने वैलनेस के सिद्धांत पर आधारित आयुर्वेद के प्रमुख चिकित्सा पद्धति नाड़ी परीक्षण पर आधारित बने एप्लीकेशन गार्गी बॉट (Based on GPT) की प्रस्तुति दी। काजल श्रीवास्तव ने मंदिरों में पूर्वकाल में आयुर्वेदिक केंद्र संचालित होने के तथ्य को स्मरण करते हुए पुनः उन्हें संचालित करने की आवश्यकता पर बल दिया। आई आई टी कानपुर के प्रो अशोक खन्ना ने नैमिषारण्य में इन्क्यूबेशन सेंटर बनाने का सुझाव दिया।

वैदिक दर्शन पर महानुभावों की प्रस्तुति 

समापन सत्र में काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो आनंद के त्यागी, अशोक सिंघल वैदिक शोध संस्थान के निदेशक सन्निधानम शर्मा, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रो संतोष शुक्ल, वैदिक विज्ञान केंद्र बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संयोजक प्रो उपेंद्र त्रिपाठी तथा अन्य ने वैदिक दर्शन और सनातन जीवन पद्धति पर अपनी प्रस्तुति दी। धर्मार्थ विभाग के संयुक्त निदेशक और काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यकारी अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा तथा कार्यशाला के संयोजक सूर्यकांत मिश्रा ने विभिन्न सत्रों का संचालन किया।



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