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तमिलनाडु में फाइनल: कमल और द्रविड़ राजनीति की अग्नि परीक्षा

Tamil Nadu Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर आज वोटिंग हो रही है। राज्य के 6.23 करोड़ मतदाता लगभग 68,000 मतदान केंद्रों पर अपना वोट डालने के लिए तैयार हैं।

तमिलनाडु के दिग्गजों - द्रमुक और अन्नाद्रमुक और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधनों के बीच तीन-तरफा राजनीतिक लड़ाई है।

भाजपा की जबर्दस्त कोशिश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने द्रविड़ गढ़ में अपनी पकड़ बनाने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए हैं। चेन्नई, कोयम्बटूर, वेल्लोर और तिरुनेलवेली में रैलियों सहित पूरे तमिलनाडु में मोदी का व्यापक अभियान, इस राज्य में पैर जमाने के लिए भाजपा के दृढ़ संकल्प को बयान करता है। द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन के कथित भ्रष्टाचार और 'परिवारवाद' की राजनीति को उठाने से लेकर कच्चाथीवू मुद्दे तक, मोदी ने राज्य की अपनी नौ यात्राओं में कोई कसर नहीं छोड़ी।

कोयंबटूर पर सबकी निगाहें

सबकी निगाहें खासकर पश्चिमी तमिलनाडु के केंद्र कोयंबटूर पर लगी हैं जहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई मैदान में हैं। उनकी लड़ाई द्रविड़ दिग्गजों द्रमुक और अन्नाद्रमुक से है।

द्रमुक का टारगेट

एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ने वाम दलों और कांग्रेस जैसे अपने सहयोगियों के साथ, पुडुचेरी निर्वाचन क्षेत्र की एकमात्र सीट सहित सभी 39 सीटें जीतकर 2019 के अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने का लक्ष्य रखा है। 2019 में इस गठबंधन ने तमिलनाडु की 39 सीटों में से 38 सीटें जीतीं, जबकि अन्नाद्रमुक ने एक सीट जीती थी। द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन ने पुडुचेरी में भी जीत हासिल की थी। भाजपा पांच साल पहले लोकसभा और 2021 के राज्य विधानसभा चुनावों में भी अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन की घटक थी।

मुख्यमंत्री स्टालिन के नेतृत्व में द्रमुक ने सामाजिक न्याय और कल्याण योजनाओं के मंच पर चुनाव अभियान चलाया है, और चुनावों को भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई के रूप में चित्रित किया है। पूरे अभियान के दौरान स्टालिन ने बार-बार इन चुनावों के महत्व पर जोर दिया है और इनकी तुलना दूसरे स्वतंत्रता आंदोलन से की है जिसका उद्देश्य देश को भाजपा के प्रभाव से मुक्त कराना है।

अन्नाद्रमुक की रणनीति

एडप्पादी के पलानीस्वामी के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक ने अपने शासन की खूबियां गिनाते हुए द्रमुक के अभियान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। पलानीस्वामी ने कानून-व्यवस्था सहित विभिन्न मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाया और भाजपा पर जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। द्रमुक और भाजपा दोनों से चुनौतियों का सामना करने में अन्नाद्रमुक अपनी क्षमता में भरोसा दिखाते हुए पलानीस्वामी ने दावा किया है कि पार्टी को मतदाताओं के समर्थन है।



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