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World Heritage Day: अंग्रेजी हुकूमत से संघर्ष के गवाह रहे 76 वृक्ष अब बनेंगे सेल्फी प्वाइंट

World Heritage Day 2024: गोरखपुर मंडल में 76 वृक्ष वर्षों से राहगीरों को ऑक्सीजन तो दे ही रहे हैं, वह अपने सीने में कई पीढ़ियों की यादें भी संजोए हुए हैं। अंग्रेजों के समय के इन वृक्षों में कई आजादी के दिवानों के लिए भी अहम रहे हैं। वन विभाग अब इन्हें विरासत वृक्ष का दर्जा देकर संरक्षित करने में जुटा है। यहां सेल्फी प्वाइंट बनाया जा रहा है। जिससे नई पीढ़ियां अपने अतीत की जानकारी ले सकेंगे। सेल्फी प्वाइंट के साथ ही यहां पौधे से वृक्ष के सफर को लेकर भी जानकारी भी दी जाएगी।

18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस है। इस दिवस के आइने में देखें तो ये वृक्ष हमें कई सीख देते हैं। ऐसे में वन विभाग ने कई पीढ़ियों को ऑक्सीजन देकर छांव देने वाले ऐतिहासिक धरोहरों को विरासत वृक्षों का दर्जा दिया है। विरासत वृक्ष में चार गोरखनाथ मंदिर परिसर में हैं। ये वृक्ष श्रद्धालुओं को गर्मी और बारिश में राहत देते रहे हैं। कुल मिलाकर गोरखपुर मंडल के चार जिलों में 76 पेड़ को विरासत वृक्षों की सूची में शामिल किया गया है। इन वृक्षों में पीपल, बरगद और पाकड़ शामिल हैं। वन विभाग इनको सहेजने का बीड़ा उठाया है। गोरखनाथ मंदिर परिसर में स्थित हनुमान मंदिर के बाई तरफ बरगद का 120 वर्ष पुराना वृक्ष हैं। स्थानीय लोग इसे कल्पवृक्ष के रूप में पूजते हैं। मंदिर में ही 120 साल पुराना बरगद, 150 साल पुराना पाकड़ का वृक्ष हैं जिनकी पूजा की जाती है। इसी तरह रेलवे जीएम ऑफिस के पास 100 वर्ष पुराना पीपल, ग्राम परसपुर में 400 वर्ष पुराना बरगद का वृक्ष है। इसी रेंज के बरगदही गांव के पास पीपल का 300 वर्ष पुराना वृक्ष है। जिले के कुल19 वृक्ष विरासत वृक्षों की सूची में शामिल किए गए हैं। डीएफओ विकास यादव का कहना है कि विरासत वृक्षों में पीपल, बरगद, पाकड़ शामिल हैं। इनको सहेजने की जिम्मेदारी सबकी है। इन वृक्षों के आसपास सेल्फी प्वाइंट विकसित किया जाएगा। वृक्ष के ज्ञात इतिहास के बारे में जानकारी भी दी जाएगी। जिससे की युवाओं को इनकी ऐतिहासिकता की जानकारी मिल सके।

कुशीनगर में साखू का पेड़ 250 साल पुराना

कुशीनगर में पांच विरासत वृक्ष हैं। इनमें सबसे पुराना वृक्ष साखू का है, जो 250 वर्ष का है। महराजगंज में कुल 20 विरासत वृक्षों को शामिल किया गया है। इनमें सबसे अधिक पुराना वृक्ष ग्राम रजौडा पुंजम मलंग बाबा के स्थान पर स्थित बरगद का है, जो 350 वर्ष पुराना है। देवरिया में सबसे कम चार वृक्ष हैं। इनमें रामपुर बुजुर्ग गांव में बरगद का वृक्ष है, जो 250 वर्ष पुराना है। सिद्धार्थनगर के 12 वृक्ष हैं। इनमें सबसे अधिक पुराना वृक्ष टेकनार में 300 वर्ष का पाकड़ है। संतकबीरनगर में 11 तो बस्ती में पांच वृक्षों को विरासत की सूची में शामिल किया गया हैं। ये सभी वृक्ष 100 साल पुराने हैं।



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